लखनऊ. देश में लॉकडाउन का शुक्रवार को तीसरा दिन है। काम-धंधा सब ठप हो गया है। पेट पालने के लिए शहर आए मजदूरों के पास अब वहां रुकने की कोई वजह नहीं बची। बस-ट्रेन सब बंद है। मजबूरी में मजदूर परिवार के साथ पैदल ही सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने गांवों के लिए रवाना हो चुके हैं। दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर ऐसे ही हजारों लोग पैदल अपने गांवों की ओर जाते हुए नजर आए।
लोगों के मस्जिदों में जाने पर पाबंदी
वहीं, अयोध्या में राम लला का मंदिर बनाने के सभी कार्यक्रम स्थगित कर दिए गए। मेरठ ने पुलिस ने एक बारात लौटा दी। सिर्फ दूल्हे, उसके पिता और बहन को जाने की अनुमति मिली। जुमा होने के बावजूद उत्तर प्रदेश की सभी मस्जिदों में लोगों के जाने पर पाबंदी लगा दी गई है। पुलिस सख्ती से इसका पालन करवा रही है।
वहीं, अयोध्या में राम लला का मंदिर बनाने के सभी कार्यक्रम स्थगित कर दिए गए। मेरठ ने पुलिस ने एक बारात लौटा दी। सिर्फ दूल्हे, उसके पिता और बहन को जाने की अनुमति मिली। जुमा होने के बावजूद उत्तर प्रदेश की सभी मस्जिदों में लोगों के जाने पर पाबंदी लगा दी गई है। पुलिस सख्ती से इसका पालन करवा रही है।
मजदूर बोले- कोरोना से नहीं तो भूख से मर जाएंगे
यूपी की ज्यादातर सड़कों पर ऐसे मजदूरों के जत्थे देखने को मिल जाएंगे। पैसे नहीं हैं, खाना नहीं है। पेट पालने के लिए शहर आए थे और भूखे ही गांव वापस लौटना पड़ रहा है। इन हालात से कोई अनजान नहीं है। संक्रमण का खतरा बरकरार है, लेकिन इंसानियत के नाते पुलिस और प्रशासन इन जरूरतमंदों की मदद के लिए हर जरूरी कोशिश कर रहे हैं। रास्ते में ऐसे मजदूरों को खाना खिलाया जा रहा है। संक्रमण से बचने के लिए मास्क दिए जा रहे हैं और साथ ही समझाया भी जा रहा है कि आपका ये सफर आपके अपनों को ही मुश्किल में डाल देगा। लेकिन, सैकड़ों किलोमीटर के सफर पर निकले ये मजदूर कहते हैं कि हम कोरोना से शायद बच भी जाएं, लेकिन भुखमरी से जरूर मर जाएंगे। इन लोगों के पैरों में छाले पड़ गए हैं, पर ये रुक नहीं रहे... चलते जा रहे हैं अपने गांवों की ओर।