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यूपी के सीतापुर में एक गांव ऐसा भी है ,जिसका नाम सुनते ही ग्रामीणों से दूरी बना लेते हैं लोग

सीतापुर. 
दुनियाभर में कोरोनावायरस का संक्रमण फैला हुआ है। देश में भी इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। उत्तर प्रदेश भी इस संक्रमण से अछूता नहीं है। इसके इतर यहां एक गांव ऐसा भी है, जिसका नाम सुनकर ही लोगों में दहशत का माहौल बन जाता है। हम बात कर रहे हैं सीतापुर के गांव कोरोना की। यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि जब कभी भी हम किसी को बताते हैं कि अपने गांव कोरोना से आए हैं तो लोग हमसे भेदभाव करना शुरू कर देते हैं। वे हमसे दूरी बना लेते हैं। हालांकि, गांव में एक भी व्यक्ति कोरोना संक्रमित नहीं है। 

नैमिषारण्य की 84 कोसीय परिक्रमा में है कोरोना गांव
दरअसल, कोरोना गांव 88 हजार ऋषियों की तपोभूमि नैमिषारण्य की 84 कोसीय परिक्रमा मार्ग पर पड़ता है। सीतापुर जिले की मिश्रित तहसील के इस गांव की आबादी महज 8 हजार है। ब्राह्मण और यादव बहुल इस गांव के लोग खेती पर निर्भर हैं। यह गांव धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से काफी समृद्ध है। होली के पंद्रह दिन पहले नैमिषारण्य से शुरू होने वाली 84 कोसीय परिक्रमा का पहला पड़ाव यही कोरोना गांव है। यहां पर द्वारकाधीश का प्राचीन मन्दिर भी है, जिसमें परिक्रमा के समय लाखों श्रद्धालु दर्शन-पूजन करते हैं।
लॉकडाउन का 5वां दिन, अब तक 73 मामले
उत्तर प्रदेश में लॉकडाउन का आज 5वां दिन है। राज्य में रहने वाले ज्यादातर लोग लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं। मगर शुक्रवार को हालात उस वक्त बिगड़ गए जब दिल्ली समेत दूसरे राज्य से आए मजदूर और कामगार यहां पहुंचे। लखनऊ के चारबाग-केसरबाग बस अड्डे पर हजारों की भीड़ पहुंची। यहां न यात्रियों की जांच हुई न कोई रिकॉर्ड बनाया गया। जिला प्रशासन ने 200 से अधिक बसों का इंतजाम किया ताकि मजदूरों को उनके गृह नगर भेजा जा सके। यूपी में अब तक 73 संक्रमित पाए गए हैं। 24 घंटे में 14 मरीज सामने आए हैं।
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