नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ जब देश के सारे मुख्यमंत्री सोमवार को सामने होंगे तब उनके सामने ढेर सारे सवाल होंगे। सूत्रों के अनुसार, इस बार अधिकतर मुख्यमंत्री मांगों की लंबी लिस्ट के साथ सामने आने वाले हैं। इससे पहले अब तक प्रधानमंत्री मोदी सभी मुख्यमंत्रियों के साथ तीन बार मीटिंग कर चुके हैं। लेकिन, इस बार मीटिंग से पहले कई ऐसे घटनाक्रम हुए हैं जिससे अब सभी की नजरें सोमवार पर टिक गई हैं।
इस मीटिंग में पीएम मोदी 3 मई को समाप्त होने वाले लॉक डाउन 2.0 के बाद के एक्जिट रूट के बारे में बात करेंगे। पीएमओ सूत्रों के अनुसार अधिकतर राज्य 3 मई के बाद भी बंदिशें जारी रखना चाहते हैं लेकिन इनके बीच कई मोर्चे पर छूट भी चाहते हैं। वहीं, कांग्रेस शासित राज्य मीटिंग में यह प्रस्ताव रखेंगे कि अब आगे से लॉकडाउन की रणनीति को राज्यों के जिम्मे छोड़ दिया जाना चाहिए और वे अपनी जरूरतों के हिसाब से लागू करें।
ममता बनर्जी को लेकर संशय
केंद्र सरकार भी लभग अब इसी दायरे में सोच रही है और अबतक बन रहे फार्मूले के तहत 3 मई के बाद केंद्र एक आम एडवाइजरी जारी करेगी और राज्य उसे अपने हिसाब से अपने यहां उसे लागू करेंगे। वहीं, पश्चिम बंगाल की ममता सरकार और केंद्र सरकार के बीच हुए टकराव के बाद यह मीटिंग हो रही है। इसमें खुद ममता बनर्जी शामिल होंगी या नहीं अभी इस पर सस्पेंस बना हुआ है।
प्रवासी मजदूरों का उठ सकता है मुद्दा
बिहार सहित कई राज्य अपने यहां के प्रवासी मजदूरों को ठिकाने तक भेजने की मांग कर सकते हैं। सूत्रों के अनुसार इस मामले में बिहार के सीएम नीतीश कुमार सख्त स्टैंड ले सकते हैं। बिहार सरकार से जुड़े एक सीनियर व्यक्ति ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान अगर कोटा से लाने के लिए बस चलाने की अनुमति दी गयी तो बिहार सरकार मांग करेगी कि सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए मजदूरों को भी उनके घरों तक पहुंचाने के लिए स्पेशल ट्रेन चलाया जाए।
कोटा स्टूडेंट्स मामले पर बिहार की हुई थी किरकिरी
बिहार ने कोटा से स्टूडेंट को उनके घरों तक भेजने का तीव्र विरोध किया था और इसके लिए होम मिनिस्ट्री को लेटर भी लिखा। लेकिन इसके बाद कोटा से तमाम दूसरे राज्य स्टूडेंट भेजे गये जिससे नीतीश सरकार की किरकिरी भी हुई। इस मीटिंग में बिहार के अलावा झारखंड, छत्तीसगढ़ जैसे राज्य भी प्रवासी मजदूर का मामला उठा सकते हैं तो पंजाब जैसे राज्य खेती के मौसम में मजदूर किस तरह मिलें इस बार अपनी मांग रख सकते हैं।
आर्थिक पैकेज के लिए बनेगा दबाव
इस बार अधिकतर राज्य अपने-अपने राज्य के लिए आर्थिक पैकेज की मांग करने वाले हैं। सूत्रों के अनुसार कम से कम आधे दर्जन ने केंद्र सरकार से कहा है कि जीएसटी कलेक्शन ठप होने से उनकी आर्थिक हालात इस तरह चरमरा गई है। यहां तक कि जरूरी चीजों के लिए राशि की कमी हो गयी है। इस बार पीएम मोदी से ये सीएम अपनी मांग रख सकते हैं।
उद्योग जगत के पैकेज को लेकर बैठक टली
मालूम हो कि उद्योग जगत के लिए पैकेज तय करने को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ शुक्रवार को मीटिंग होने वाली थी, लेकिन सीएम के साथ मीटिंग और उनकी ओर आर्थिक पैकेज की भारी मांग को देखते हुए उसे टाल दिया गया था। अब सोमवार को सभी सीएम के साथ इसी हफ्ते आर्थिक पैकेज का ऐलान हो सकता है। यह पैकेज 3 लाख करोड़ से अधिक का बताया जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ जब देश के सारे मुख्यमंत्री सोमवार को सामने होंगे तब उनके सामने ढेर सारे सवाल होंगे। सूत्रों के अनुसार, इस बार अधिकतर मुख्यमंत्री मांगों की लंबी लिस्ट के साथ सामने आने वाले हैं। इससे पहले अब तक प्रधानमंत्री मोदी सभी मुख्यमंत्रियों के साथ तीन बार मीटिंग कर चुके हैं। लेकिन, इस बार मीटिंग से पहले कई ऐसे घटनाक्रम हुए हैं जिससे अब सभी की नजरें सोमवार पर टिक गई हैं।
लॉकडाउन से कई मोर्चों पर छूट चाहते हैं राज्य
इस मीटिंग में पीएम मोदी 3 मई को समाप्त होने वाले लॉक डाउन 2.0 के बाद के एक्जिट रूट के बारे में बात करेंगे। पीएमओ सूत्रों के अनुसार अधिकतर राज्य 3 मई के बाद भी बंदिशें जारी रखना चाहते हैं लेकिन इनके बीच कई मोर्चे पर छूट भी चाहते हैं। वहीं, कांग्रेस शासित राज्य मीटिंग में यह प्रस्ताव रखेंगे कि अब आगे से लॉकडाउन की रणनीति को राज्यों के जिम्मे छोड़ दिया जाना चाहिए और वे अपनी जरूरतों के हिसाब से लागू करें।
ममता बनर्जी को लेकर संशय
केंद्र सरकार भी लभग अब इसी दायरे में सोच रही है और अबतक बन रहे फार्मूले के तहत 3 मई के बाद केंद्र एक आम एडवाइजरी जारी करेगी और राज्य उसे अपने हिसाब से अपने यहां उसे लागू करेंगे। वहीं, पश्चिम बंगाल की ममता सरकार और केंद्र सरकार के बीच हुए टकराव के बाद यह मीटिंग हो रही है। इसमें खुद ममता बनर्जी शामिल होंगी या नहीं अभी इस पर सस्पेंस बना हुआ है।
प्रवासी मजदूरों का उठ सकता है मुद्दा
बिहार सहित कई राज्य अपने यहां के प्रवासी मजदूरों को ठिकाने तक भेजने की मांग कर सकते हैं। सूत्रों के अनुसार इस मामले में बिहार के सीएम नीतीश कुमार सख्त स्टैंड ले सकते हैं। बिहार सरकार से जुड़े एक सीनियर व्यक्ति ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान अगर कोटा से लाने के लिए बस चलाने की अनुमति दी गयी तो बिहार सरकार मांग करेगी कि सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए मजदूरों को भी उनके घरों तक पहुंचाने के लिए स्पेशल ट्रेन चलाया जाए।
कोटा स्टूडेंट्स मामले पर बिहार की हुई थी किरकिरी
बिहार ने कोटा से स्टूडेंट को उनके घरों तक भेजने का तीव्र विरोध किया था और इसके लिए होम मिनिस्ट्री को लेटर भी लिखा। लेकिन इसके बाद कोटा से तमाम दूसरे राज्य स्टूडेंट भेजे गये जिससे नीतीश सरकार की किरकिरी भी हुई। इस मीटिंग में बिहार के अलावा झारखंड, छत्तीसगढ़ जैसे राज्य भी प्रवासी मजदूर का मामला उठा सकते हैं तो पंजाब जैसे राज्य खेती के मौसम में मजदूर किस तरह मिलें इस बार अपनी मांग रख सकते हैं।
आर्थिक पैकेज के लिए बनेगा दबाव
इस बार अधिकतर राज्य अपने-अपने राज्य के लिए आर्थिक पैकेज की मांग करने वाले हैं। सूत्रों के अनुसार कम से कम आधे दर्जन ने केंद्र सरकार से कहा है कि जीएसटी कलेक्शन ठप होने से उनकी आर्थिक हालात इस तरह चरमरा गई है। यहां तक कि जरूरी चीजों के लिए राशि की कमी हो गयी है। इस बार पीएम मोदी से ये सीएम अपनी मांग रख सकते हैं।
उद्योग जगत के पैकेज को लेकर बैठक टली
मालूम हो कि उद्योग जगत के लिए पैकेज तय करने को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ शुक्रवार को मीटिंग होने वाली थी, लेकिन सीएम के साथ मीटिंग और उनकी ओर आर्थिक पैकेज की भारी मांग को देखते हुए उसे टाल दिया गया था। अब सोमवार को सभी सीएम के साथ इसी हफ्ते आर्थिक पैकेज का ऐलान हो सकता है। यह पैकेज 3 लाख करोड़ से अधिक का बताया जा रहा है।
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