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चिकित्सकों व कर्मियों को स्वादिष्ट भोजन


संजय सक्सेना

बिजनौर

भोजन के महत्व को बताने वाली एक पुरानी कहावत है, 'भूखे भजन न होय गोपाला' अर्थात भूखे पेट भगवान के भजन में भी मन नहीं लगता है। पेट भूखा होने पर मन भी अशांत हो जाता है। इस कहावत को अब स्वास्थ्य विभाग ने भी पूरी तरह से आत्मसात कर लिया है। जिसके चलते अब महकमे ने कोरोना वायरस से पीड़ित अथवा संदिग्ध मरीजों के उपचार में लगे कर्मियों को गुणवत्तापूर्ण भोजन उपलब्ध कराने जा रहा है, जिससे इन सभी का मन शांत और एकाग्रचित्त रहे और वह और बेहतर तरीके से मरीजों की सेवा कर सकें।

कोरोना वायरस से पीड़ित अथवा संदिग्ध मरीजों के उपचार में लगे चिकित्सक और पैरामेडिकल स्टाफ रात-दिन अपनी ड्यूटी कर इस संक्रमण के फैलाव को रोकने में जुटे हैं। यह चिकित्साकर्मी इस अवधि में न तो अपने घरों को जा पा रहे हैं और न ही अपने प्रियजन से मुलाकात कर पा रहे हैं। दिन-रात की थकान भरी ड्यूटी के बाद इन चिकित्सा कर्मियों के सामने खाने का कोई संकट न रहे, इन्हें गुणवत्तापूर्ण भोजन उपलब्ध कराने को लेकर परिवार कल्याण विभाग के महानिदेशक बद्री विशाल ने प्रदेश के सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को एक पत्र लिखा है।

मुख्य चिकित्साधिकारी डा विजय यादव के अनुसार  पत्र में उन्होंने प्रदेश के चिकित्सकों के साथ ही तमाम पैरामेडिकल कर्मी भी समर्पित भाव से कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं। ऐसे में इन सभी को मानसिक रूप से सबल किए जाने की जरूरत है। इसलिए यह जरूरी है कि इन सभी के खान-पान में कोई कोताही न होने पाए। इसके लिए प्रत्येक व्यक्ति को प्रत्येक दिन की दर से 500 रुपये अनुमन्य किए गए हैं। इसके अलावा इन सभी को मेडिकल कर्मियों को लांड्री (कपड़ों आदि की धुलाई) के लिए भी अतिरिक्त धनराधि अनुमन्य किया गया है। ए श्रेणी के नगरों में यह धनराधि 1500 रुपये, बी श्रेणी के नगरों में यह धनराधि 1250 रुपये और सी श्रेणी के नगरों में यह धनराधि 1000 रुपये निर्धारित की गई है।
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