मुकेश कुमार
माल -लखनऊ
कोविड-19 की महामारी की गम्भीरता को देखते हुये लॉक डॉउन में प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने सभी जरूरतमंदो को राशन देने का ऐलान किया था। मगर कोटेदारों और जिम्मेदार अधिकारियों की भ्र्ष्टाचार में डूबी नीतियो के कारण जरूरतमंद राशन के लिये दर दर भटकने को मजबूर है।
विकास खण्ड माल की पंचायतो में कोटेदारों और सप्लाई इंसपेक्टर की मिलीभगत से हजारों लाभार्थियों का राशन बेचकर खुद की जेब भरने की खबरे लगातार चर्चाओं में है। विकास खण्ड की ग्राम पंचायत पारा भदराही में कोटेदार रामचंद्र द्वारा बड़े स्तर पर राशन का गबन किया जा रहा है। ग्रामीणों के अनुसार कोटेदार रामचंद्र द्वारा सैकड़ो लोगो को राशन दिये बिना यह कहकर वापस कर दिया कि राशन खत्म हो गया।
इसी प्रकार 1 मई से जो राशन बांटा गया था उसमें भी सैकड़ों लोगों को राशन नही दिया गया था। वही कुछ लाभार्थियों ने बताया कोटेदार द्वारा तय दाम से प्रति यूनिट 1 रुपये अधिक लिए जाते है। कुछ ग्रामीणों ने बताया सप्लाई इंस्पेक्टर और 1076 पर शिकायत करने से भी कोई सहायता नही मिलती है। जबकि प्रदेश के मुख्यमंत्री ने बिना कागज वाले जरूरत मंदो को राशन देने का आदेश दिया था, मगर कोटेदार द्वारा सूची में नाम होने के बावजूद भी लाभार्थियों को राशन नही दिया जा रहा है।
इसके पहले भी कई बार ग्रामीणों ने कोटेदार रामचंद्र के राशन गबन की शिकायत अधिकारियों से की है । मगर अधिकारी जांच के नाम पर अपनी जेब गरम करके चलते बनते है। अब समझना मुश्किल हो जाता है आखिर इन गरीब जरूरतमंदो की परेशानी को कोई जिम्मेदार सुलझाएगा या यह सिर्फ खाद्य सुरक्षा योजना के नाम पर केवल खुद को ठगा महसूस करते रहेंगे।