बिजनौर।
30 मई को पत्रकरिता दिवस के अवसर पर चांदपुर के मोहल्ला साहुवान निवासी गरिमा माहेश्वरी ने पत्रकार भाइयों के लिए एक सन्देश अपनी कविता के माध्यम से दिया है। इतना ही नहीं उन्होंने कि पत्रकार समाज को सच का सामना कराता है।
समाज को सच का सामना कराता है।
हम इंसान कितने नादान हैं।
हम इंसान कितने नादान हैं,
घर पर जीते अपनी ज़िंदगी आम हैं।।
हमारे लिए बने कुछ इंसान,
इस देश के पत्रकार हैं।।
जो पहुंचाते खबरें तमाम हैं,
आंधी हो या तूफान हो,
ना बंद होता उनका काम है।
हमारे लिए बने कुछ इंसान इस देश के पत्रकार हैं।
अच्छी हो या बुरी हो हम तक पहुंचाते खबरें तमाम हैं।।
धूप हो या कोई बीमारी हो,
ना रुकता इनका कभी काम है।
हमारे लिए बने कुछ इंसान इस देश के पत्रकार हैं।
पल पल की खबरें लाना,
और हमें सच का आईना दिखाना,
यही इनका काम है।
हमारे लिए बने कुछ इंसान इस देश के पत्रकार हैं।
30 मई को पत्रकरिता दिवस के अवसर पर चांदपुर के मोहल्ला साहुवान निवासी गरिमा माहेश्वरी ने पत्रकार भाइयों के लिए एक सन्देश अपनी कविता के माध्यम से दिया है। इतना ही नहीं उन्होंने कि पत्रकार समाज को सच का सामना कराता है।
समाज को सच का सामना कराता है।
हम इंसान कितने नादान हैं।
हम इंसान कितने नादान हैं,
घर पर जीते अपनी ज़िंदगी आम हैं।।
हमारे लिए बने कुछ इंसान,
इस देश के पत्रकार हैं।।
जो पहुंचाते खबरें तमाम हैं,
आंधी हो या तूफान हो,
ना बंद होता उनका काम है।
हमारे लिए बने कुछ इंसान इस देश के पत्रकार हैं।
अच्छी हो या बुरी हो हम तक पहुंचाते खबरें तमाम हैं।।
धूप हो या कोई बीमारी हो,
ना रुकता इनका कभी काम है।
हमारे लिए बने कुछ इंसान इस देश के पत्रकार हैं।
पल पल की खबरें लाना,
और हमें सच का आईना दिखाना,
यही इनका काम है।
हमारे लिए बने कुछ इंसान इस देश के पत्रकार हैं।
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