लेखिका- निभा चौधरी ( आगरा)
सच्चा अपना झूठा किरदार लिखूँ ,,
आंख से बहती आंसू की धार लिखूँ !!
पहली नजर के प्यार का इंतेज़ार लिखूँ ,,
ख्वाब की एक नजर का इजहार लिखूँ !!
रस पीते भंवरे पर खार का वार लिखूँ ,,
रात की पीड़ा,दिनभर बेचैन लिखूँ !!
गुलशन की कली-कली कतार लिखूँ ,,
दूर निगाहों की एक बहार लिखूँ !!
तेरा सच्चा अपना झूठा किरदार लिखूँ ,,
बातों ही बातों का तन्हा हाल लिखूं !!
ग़म की लहरों पर ऐसा अहसास लिखूँ ,,
तुझे छूने भर का आभास लिखूँ !!
बुत के मानिंद तुम्हारा जीवन साथ लिखूँ ,,
पत्थर की थोड़ी मरियाद लिखूं !!
तेरी हकीकत का एक सवाल लिखूँ ,,
साहिल पर फिरती आवाज़ लिखूं !!
तेरा सच्चा अपना झूठा किरदार लिखूँ ,,
चांद की इच्छा तारों में आराम लिखू !!
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