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करोड़ों की रकम हजम करने में जुटा सामाजिक वानिकी प्रभाग, बंद कमरे में चहेते ठेकेदार को थमा दिया टेंडर

संजय सक्सेना 
लखनऊ। 

मंडल मुरादाबाद के जनपद बिजनौर में सामाजिक वानिकी प्रभाग भ्रष्टाचार के नए कीर्तिमान बनाने की ओर अग्रसर है। बंद कमरे में चहेते ठेकेदार को टेंडर देकर करोड़ों के शासकीय धन का बंदरबांट शुरू हो गया है। यह ठेकेदार सेंचुरी जोन में नगर पालिका परिषद बिजनौर का नाला बनाने के मामले में पहले से ही विवादित है। 

बिजनौर जनपद में वन विभाग के दो डिवीजन हैं। एक सामाजिक वानिकी प्रभाग, बिजनौर और दूसरा बिजनौर वन प्रभाग, बिजनौर। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को हरा भरा एवं पर्यावरण को स्वच्छ रखने की अपनी महत्वाकांक्षा के चलते, प्रदेश के सीमित संसाधनों के होते हुए भी,बिजनौर सामाजिक वानिकी प्रभाग को करोड़ों का आवंटन किया है।

सूत्रों के अनुसार सामाजिक वानिकी प्रभाग, बिजनौर को 10-12 करोड़ रुपए विभागीय योजनाओं के लिए आवंटित किए हैं। इस रकम से विभिन्न विभागीय कार्य जैसे, थैली भरान, पौध उत्पादन, गड्ढा खुदाई,पौधारोपण, जमीन की जुताई, तार बाड़,पौधशालाओं की सिंचाई एवं निर्माण कार्य भी शामिल था। उसी पैसे की लूट के लिए चार वर्ष से जमे प्रभागीय निदेशक ने इस कार्य के अपने चहेते ठेकेदार को टेंडर दिए। 

चर्चा तो यह भी है की उक्त कार्य के लिए किसी अखबार या ई-निविदा के माध्यम से टेंडर नहीं मांगे गए बल्कि प्रभागीय निदेशक कार्यालय में बैठकर ही अपने चहेते ठेकेदार की निविदा स्वीकृत कर दी गई। बिजनौर के सामाजिक वन प्रभाग की कण्व आश्रम पौधशाला में एक कमरे के निर्माण के लिए अपने चहेते ठेकेदार ताजिम के नाम निविदा स्वीकृत की गई। 

मार्च 2020 में कार्य पूर्ण दिखाकर उसका भुगतान भी करा दिया गया। आज 27 मई 2020 तक भी निर्माण कार्य चल रहा है। निर्माण में प्रयुक्त हो रही ईट भी दोयम दर्जे की इस्तमल की जा रही हैं। कण्व आश्रम पौधशााला में सोलर पंप भी लगाया गया है जबकि मौके पर डीजल इंजन पंपिंग सैट से सिंचाई की जा रही है। सूत्रों की मानें तो सोलर पंप सैट का भुगतान भी मार्च में कर दिया गया है, जबकि मौकेे पर कोई सोलर पंपिंग सैट नहीं लगा हुआ है। 

इसी प्रकार बिजनौर पौधशाला बिजनौर- मुरादाबाद रोड पर भी सोलर पंपिंग सैट का कार्य पूर्ण दिखा, मार्च में ही धनराशि निकाल ली गई है। कण्व आश्रम पौधशाला व बिजनौर मुरादाबाद रोड पर स्थित पौधशाला में सोलर पंप के निर्माण स्वीकृत होने एवं भुगतान होने पर भी दोनों पौधशाला पर जनरेटर इंजन की मदद से पानी का दोहन कर पौधाशालाओं की सिंचाई जा रही, सोचने की बात है कि जब सोलर पंप का भुगतान ठेकेदार को हो गया,  तब डीजल इंजन से सिंचाई क्यों की जा रही है। यहां प्रश्न यह भी उठता है कि इस डीजल का भुगतान किस मद से किया जा रहा है। 

इस सांठगांठ का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसी ठेकेदार ताजिम ने नगर पालिका परिषद बिजनौर से वर्ष 2019-20 में एक नाला बिजनौर चांदपुर रोड पर बनवाया है। यह स्थल सेंचुरी अभ्यारणय इको सेंसेटिव जोन में आता है। इसमें भूमि उपयोग का मुआवजा लैंड ट्रांसफर एक्ट वन्य जीव विहार क्षेत्र के प्रावधानों के अनुसार वन विभाग में जमा होना चाहिए था, जिसकी स्वीकृति उत्तर प्रदेश शासन एवं नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल से ली जाने थी। इस प्रकार विभाग में निजी स्वार्थ साधते हुए आयकर विभाग को लाखों रुपए की क्षति पहुंचाई गई है। इस संबंध में डीएफओ एम सेम्मिरन ने कहा कि “लॉक डाउन की वजह से काम नहीं हो सका वह अगले कुछ दिनों में कार्य पूर्ण हो जाएगा”। 

शेष खुलासे अनवरत जारी रहेंगे….
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