संजय सक्सेना
बिजनौर।
चांदपुर के लोगों ने कोरोना महामारी से लड़ने के लिए नया तरीका खोज लिया है। वह खुलेआम सड़कों, बाजारों में टहल रहे हैं। दूसरी ओर लगता है कि प्रशासनिक अफसर और स्वास्थ्य कर्मियों को यह अनूठा प्रयोग समझ में आ गया है। उन्हें लगता है कि यह लोग उनकी मेहनत पर पानी नहीं फेर रहे, बल्कि एक तरह से मदद ही कर रहे हैं। रोजाना बाजारों में इतनी ज्यादा भीड़ हो रही है कि जैसे किसी को कोरोना का डर ही नहीं रहा।
यह हाल तब है जब पुलिस प्रशासन भी गाइडलाइन का पालन करने के लिए कोतवाली में कई मीटिंग कर चुका है। मजेदार बात यह है कि पुलिस की गाड़ी देख सब अचानक अपने आप ठीक हो जाता है लेकिन बाद में हालात जस के तस हो जाते हैं।
विदित हो कि जनता के लिए सुबह से लेकर शाम तक की गाइड लाइन जारी की गई है। वहीं दुकानों को खोंलने व बंद करने के लिए भी गाइडलाइन है, लेकिन दुकानदार उसकी धज्जियां उड़ा रहे हैं। यही नहीं लोगों, ठेलों व रिक्शा चालको को बिना मास्क के घूमते देख कर लगता है कि कोरोना का डर खत्म हो चुका है। जामा मस्जिद, मंडी कोटला, ढाली बाजार में तो बहुत बुरा हाल है।
सोशल डिस्टेंस का ध्यान भी नहीं रखा जा रहा। दूसरी ओर सरकार द्वारा जन धन खातों में डाले गए पांच-पांच सौ रुपए निकालने के लिए बैंकों के बाहर लगने वाली भीड़ किसी मेले का अहसास कराती है। प्रबंधन ने बैंकों के बाहर गोले बनाकर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली है। लोगों को लाईन में लगाने के लिए किसी कर्मचारी की तैनाती नहीं की गई है। हालात ऐसे ही रहे तो कोरोना महामारी से लड़ने के प्रयास धरे के धरे रह जाएंगे।
बिजनौर।
चांदपुर के लोगों ने कोरोना महामारी से लड़ने के लिए नया तरीका खोज लिया है। वह खुलेआम सड़कों, बाजारों में टहल रहे हैं। दूसरी ओर लगता है कि प्रशासनिक अफसर और स्वास्थ्य कर्मियों को यह अनूठा प्रयोग समझ में आ गया है। उन्हें लगता है कि यह लोग उनकी मेहनत पर पानी नहीं फेर रहे, बल्कि एक तरह से मदद ही कर रहे हैं। रोजाना बाजारों में इतनी ज्यादा भीड़ हो रही है कि जैसे किसी को कोरोना का डर ही नहीं रहा।
यह हाल तब है जब पुलिस प्रशासन भी गाइडलाइन का पालन करने के लिए कोतवाली में कई मीटिंग कर चुका है। मजेदार बात यह है कि पुलिस की गाड़ी देख सब अचानक अपने आप ठीक हो जाता है लेकिन बाद में हालात जस के तस हो जाते हैं।
विदित हो कि जनता के लिए सुबह से लेकर शाम तक की गाइड लाइन जारी की गई है। वहीं दुकानों को खोंलने व बंद करने के लिए भी गाइडलाइन है, लेकिन दुकानदार उसकी धज्जियां उड़ा रहे हैं। यही नहीं लोगों, ठेलों व रिक्शा चालको को बिना मास्क के घूमते देख कर लगता है कि कोरोना का डर खत्म हो चुका है। जामा मस्जिद, मंडी कोटला, ढाली बाजार में तो बहुत बुरा हाल है।
सोशल डिस्टेंस का ध्यान भी नहीं रखा जा रहा। दूसरी ओर सरकार द्वारा जन धन खातों में डाले गए पांच-पांच सौ रुपए निकालने के लिए बैंकों के बाहर लगने वाली भीड़ किसी मेले का अहसास कराती है। प्रबंधन ने बैंकों के बाहर गोले बनाकर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली है। लोगों को लाईन में लगाने के लिए किसी कर्मचारी की तैनाती नहीं की गई है। हालात ऐसे ही रहे तो कोरोना महामारी से लड़ने के प्रयास धरे के धरे रह जाएंगे।
No comments
Post a Comment