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भारत बचाओ और इण्डिया हटाओ अमेठी से शुरू - डॉ अर्जुन

हरिकेश यादव-संवाददाता (इंडेविन टाइम्स)
अमेठी। 

उच्चतम न्यायालय का देश का नाम इण्डिया हटाकर भारत करने की याचिका को संविधान पीठ के पास भेजा जाना एक महत्वपूर्ण कदम भारत केवल नाम नहीं अपितु भारत संस्कृति की पहचान है। आज हमारा नारा भारत बचाओ-इण्डिया हटाओ होना चाहिए। मंगलवार को अमेठी में उक्त बातें राष्ट्र चेतना परिषद, के अध्यक्ष डॉ0अर्जुन पाण्डेय का कहना है कि उच्चतम न्यायालय का देश का नाम इण्डिया हटाकर भारत करने की याचिका को संविधान पीठ के पास भेजा जाना एक महत्वपूर्ण कदम है। भारत केवल नाम नहीं अपितु भारत संस्कृति की पहचान है। 

भारतीय दर्शन के अनुसार मनु की चौथी पीढ़ी के ऋषभदेव के पुत्र भरत के समय देश का नाम भारत कर दिया गया। सुदूर अतीत से चले आ रहे भारत का नाम ब्रिटिश हुकूमत द्वारा जनबूझ कर गलत नीयति से इण्डिया रखा गया नाम जो गुलामी का प्रतीक है। संविधान निर्माताओं की कौन सी ऐसी मजबूरी रही कि भारत के पहले इण्डिया दैट इज भारत का प्रयोग करना पड़ा? यद्यपि अंग्रेज तो भारत से चले गये फिर भी बहुसंख्यक भारतीयों द्वारा इण्डिया शब्द का प्रयोग किया जाना चिंता का विषय है। 

डॉ0  अर्जुन का कहना है कि देश में समय-समय पर तत्कालीन शासकों द्वारा नगरों का नाम बदला तो गया फिर भी देश का नाम भारत ही बना रहा। दुनिया के इतिहास में ऐसा नहीं मिलता कि उस देश की सांस्कृतिक पहचान उसके नाम में परिवर्तन किया गया हो। धरा के कालखण्ड में देश ने अनेक उतार-चढ़ाव देखा। यहाँ के पुराने विचार, पुरानी मान्यतायें एवं पुरानी संस्कृति बरकरार है। हमें भारतीय होने का गर्व है। 

अंग्रेजों द्वारा रखा गया इण्डिया नाम हम भारतीयों को स्वीकार्य नहीं है। आज हमारा नारा भारत बचाओ इण्डिया हटाओ होना चाहिए। राष्ट्र चेतना परिषद का लोगों से आह्वान है कि वह केंद्र सरकार पर यह दबाव डाले कि केवल भारत शब्द का प्रयोग हिन्दी एवं अन्य सभी भाषाओं में करे, जिससे भारतीय संस्कृति की रक्षा हो सके।
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