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अयोध्या: श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की वेबसाइट की शुरुआत ,रामलला का फेसबुक और ट्वीटर अकाउंट भी बनाया गया

अयोध्या
अब भगवान राम के भक्त घर बैठे सोशल मीडिया के जरिए उनके दर्शन कर सकेंगे। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट जल्द ही सुबह मंगला आरती से लेकर रात्रि में शयन आरती तक पांच आरतियों का सीधा प्रसारण करने की तैयारी में है। वहीं, बुधवार को पर्यटन मंत्री नीलकंठ तिवारी ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की वेबसाइट की शुरुआत की। वे सायंकालीन आरती में भी शामिल हुए। मंत्री अस्थाई मंदिर में रामलला के शिफ्ट होने के बाद पहली बार अयोध्या पहुंचे थे। 
वेबसाइट पर अपडेट होगी मंदिर निर्माण की अधिकृत सूचना
ट्रस्ट के सदस्य डाॅ. अनिल मिश्र ने बताया कि अब ट्रस्ट के ऑफिशियल वेबसाइट (https://srjbtkshetra.org/) पर रामलला की आरती-पूजन और अन्य कार्यक्रमों को श्रद्धालु देख सकेंगे। वेबसाइट में अयोध्या के मंदिरों, पर्यटन स्थलों और उन्हें जोड़ने वाले रास्तों, धर्मशालाओं, होटलों की डिटेल दी गई है। प्रभु राम की महिमा का वर्णन भी मिलेगा। इस वेबसाइट पर ट्रस्ट और मंदिर निर्माण को लेकर अधिकृत सूचना भी नियमित तौर पर अपलोड की जाएगी। 
रामलला का फेसबुक और ट्वीटर अकाउंट भी है
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इससे पहले सोशल मीडिया पर अपना फेसबुक (https://www.facebook.com/Shri-Ram-Janmbhoomi-Teerth-Kshetra) और ट्वीटर हैंडल अकाउंट (https://twitter.com/ShriRamTeerth) खोला था। वेबसाइट पर ट्रस्ट के बैंक अकाउंट का भी डिटेल है। श्रद्धालु सीधे ऑनलाइन आर्थिक सहयोग कर सकेंगे। महापौर ऋषिकेश उपाध्याय ने कहा- अब राम मंदिर और ट्रस्ट के नाम पर फर्जी अकाउंट कोई नहीं बना सकेगा। अब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर सारे अपडेट वेबसाइट के अलावा फेसबुक और ट्वीटर पेज पर अपलोड किए जाते रहेंगे। इससे पहले जालसाजों ने रामलला का फेक ट्वीटर अकाउंट बना लिया था। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने केस दर्ज कराया था। 
समतलीकरण का कार्य पूरा, जल्द पीएम भूमि पूजन कर सकते हैं
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर श्रीराम तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन हुआ है। 25 मार्च को श्रीरामलला को अस्थाई मंदिर में शिफ्ट किया गया था। सूत्रों के मुताबिक, जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन कर सकते हैं। इससे पहले अयोध्या के 67 एकड़ भूमि पर 11 मई से समतलीकरण का कार्य किया गया, जो अब पूरा हो चुका है। इस दौरान ब्लैक टच स्टोन के सात खंभे, छह रेडसैंड स्टोन के खंभे, पांच फुट के नक्काशीनुमा शिवलिंग और मेहराब के पत्थर, देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियां, पुष्प कलश और नक्काशीदार खंभों के अवशेष मिले थे। पुरातत्वविद केके मोहम्मद ने इन अवशेषों को 8वीं शताब्दी का बताया था। वहीं, मंदिर निर्माण के लिए पत्थरों की सफाई का भी काम शुरू हो चुका है। मंदिर निर्माण की बाधाओं को दूर करने के लिए कुबेर टीला स्थित शिवलिंग पर 28 साल बाद बीते दिनाें रुद्राभिषेक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। 
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