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बिना लाइसेंस के चल रहे 92 फीसदी अस्पताल, होटल, बार व रेस्टोरेंट

मंजू सिंह (विशेष संवाददाता)
लखनऊ। 

राजधानी में पैथोलाजी, नर्सिंगहोम, क्लीनिक, अस्पताल व डाइग्नोस्टिक सेंटरों की संख्या लगभग 800 है। नगरनिगम से केवल मात्र 20 ने ही लाइसेंस बनवाया है। अंग्रेजी व देशी शराब की दुकानों व बीयर बार और मॉडल शाप चलाने वाले लोगों की संख्या लगभग 500 है। इनमें केवल 4 ने लाइसेंस बनवाया है। कुछ इसी प्रकार की लापरवाही होटल, रेस्टोरेंट, गेस्ट हाउस चलाने वालों की भी है। अब नगर निगम जागा है। सीलिंग व जुर्माने की कार्यवाही की जायेगी। इसके साथ ही चेतावनी नोटिस भी जारी हो गया। 
नियम कहता है कि नगर निगम की सीमा में चलाये जाने वाले चिकित्सकीय सेंटर, होटल-रेस्टोरेंट, गेस्ट हाउस, शराब, ईंट भट्ठा वालों के लिये नगर निगम से लाइसेंस लेना आवश्यक है। लाईसेंस के बिना शहरी सीमा में इनका संचालन नहीं किया जा सकता। सभी प्रकार के व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के लिये अलग-अलग लाइसेंस शुल्क तय है। उपविधि के तहत एक वर्ष के लिये ही लाइसेंस बनाया जाता है। जो अप्रैल से मार्च तक प्रभावी रहता है। जिन दर्जनभर व्यवसायों के लिये नगर निगम से लाइसेंस लेना आवश्यक है उनकी संख्या लगभग 2 हजार है। किन्तु बीते माह तक लाइसेंस मात्र 150 लोगों ने ही बनवाये। इससे नगर निगम को 10 लाख से अधिक की आय हुयी। नया वित्तीय वर्ष प्रारम्भ हुये 3 माह हो गये हैं, लेकिन अभी लगभग 1850 प्रतिष्ठानों ने लाइसेंस नहीं बनवाये। इससे नगर निगम की करोड़ों की आये पर प्रभाव पड़ रहा है। 

अब नगर निगम कार्यवाही की बात कह रहा है। जिसके तहत जुलाई में लाइसेंस न बनवाने वालों से अगस्त से विलंब शुल्क भी लिया जायेगा। इसमें देशी शराब और बीयर की दुकान के लाइसेंस पर 2 हजार रूपये, विदेशी शराब की दुकान के लाइसेंस पर 4 हजार, मॉडल शाप पर 6 हजार व अन्य प्रकार के लाइसेंस पर एक हजार रूपये विलम्ब शुल्क लगेगा। इस पर अपर नगर आयुक्त राकेश यादव का कहना है कि जिन भी प्रतिष्ठान संचालकों ने अब तक लाइसेंस नहीं बनवाये हैं, वह इस माह बनवा लें। इसके बाद नगर निगम जुर्माना तो वसूलेगा ही, सीलिंग और कुर्की की कार्यवाही भी करेगा। सभी व्यवसासियों को कोविड-19 के तय निर्देशों का पालन भी करना होगा।
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