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एक खिलाड़ी हमेशा एक खिलाड़ी होता है’- डॉ0 अमीता सिंह

हरिकेश यादव-संवाददाता (इंडेविन टाइम्स)
अमेठी।

० ‘लेट द बर्ड फ्लाई’ वेबिनार मे पूर्व चैंपियन ने युवा खिलाड़ियों से साझा किया अनुभव

उत्तर प्रदेश शासन मे पूर्व मंत्री डॉ0 अमीता सिंह के मेजबानी मे 19 जुलाई की शाम 6 बजे दिल्ली से एक वेबिनार ‘लेट द बर्ड फ्लाई’ का आयोजन किया गया।  

जिसमे पूर्व अंतर्राष्ट्रीय व राष्ट्रीय बैडमिंटन चैंपियन रह चुकी डॉ0 अमीता सिंह ने बैडमिंटन खेल प्रेमियों से अपने अनुभव साझा किया। जिसे दर्शकों द्वारा खूब सराहा गया। बताते चलें की अंतर्राष्ट्रीय व राष्ट्रीय बैडमिंटन खेल मे विशेष स्थान बना चुकी पूर्व चैंपियन डॉ0 अमीता सिंह ने वेबिनार के अंत मे प्रतिभागियों के सीधे सवालों का जवाब भी दिया। 

                                                          (फोटो-डा अमीता सिंह)
वेबिनर मे एक प्रतिभागी ने जब पूंछा कि, ‘क्या आप कृपया बता सकती हैं कि वह  क्या है जो आपको खेल मे वापस लेकर आया, और आप अपने को एक खिलाड़ी या प्रशासक के रूप मे कैसे देखती हैं?’ 
                 
जवाब देते हुए डॉ0 अमीता सिंह ने कहा, ‘ईमानदारी से कहूँ तो मैंने दिल से खेल को कभी नहीं छोड़ा। मुझे लगता है कि एक खिलाड़ी हमेशा एक खिलाड़ी होता है। खेल कि भावना खिलाड़ी कि जीवन शैली बन जाती है। हो सकता है कि आप शारीरिक रूप से खेल ना खेल रहे हों लेकिन आपका  व्यवहार, दृष्टिकोण, कार्य और ऊर्जा हमेशा एक खिलाड़ी कि तरह ही रहता है। 

मैं उनके एक दूसरे सवाल ‘एक एथिलीट कि तरह आप ने भी खेल और एकेडेमिक्स मे संतुलन बनाने के लिए समस्याओं का सामना किया होगा, आपके हिंसाब से कौन से काम सरकार/ संघ को करने चाहिए जिससे किसी खिलाड़ी को एथिलिटिक कैरियर कि आवश्यकता और एकेडेमिक्स कि जरूरत के बीच मे संतुलन बनाने मे सुविधा मिल सके?’ का उत्तर देते हुए पूर्व मंत्री तथा अंतर्राष्ट्रीय व राष्ट्रीय बैडमिंटन चैंपियन डॉ0 अमीता सिंह ने कहा, ‘जितना कि मै बचपन मे नहीं समझी थी कि शिक्षा जरूरी है, आज मै कहूँगी कि जीवन कि यात्रा मे एक व्यक्ति को परीक्षणों और चुनौतियों का सामना करने और तैयार करने के लिए अच्छी शिक्षा महत्वपूर्ण घटक है। एक सामान्य छात्र और खिलाड़ी के सामने आने वाली चुनौतियों मे बहुत बड़ा अंतर होता है। 
                       
एक पेशेवर एथिलीट को प्रतिदिन कम से कम 6 से 8 घंटे ट्रेनिंग प्रैक्टिस करनी होती है। फिर उनसे यह अपेक्षा कि वह नियमित एकेडेमिक्स मे सामान्य छात्रों कि तरह उसी शक्ति से भाग लें काफी चुनौतीपूर्ण है।  
                       
एक और सवाल मे एक प्रतिभागी ने पूंछा कि, ‘इस इन्फ्रास्ट्रक्चर, इस एकेडमी, और उपलब्ध संसाधन के साथ, आप डीसीबीए के अध्यक्ष के रूप मे कौन से कदम उठाएंगी जिससे दिल्ली टाप खिलाड़ी दे सके?’ 
                          
पूर्व बैडमिंटन चैंपियन डॉ0 अमीता सिंह ने जवाब देते हुए कहा, ‘हम भूल नहीं सकते कि दिल्ली 1982 के एसियन खेलों और 2010  के कामन वेल्थ खेलों कि और तब से कई अन्य अंतर्राष्ट्रीय बैडमिंटन खेलों के मेजबानी का गौरव रखती है। वास्तविकता है कि आज हम कुछ पिछड़ रहे हैं। आज के समय दिल्ली से अंतर्राष्ट्रीय पदक लाने वाले को तैयार करने मे कुछ चीजें (लिंक) छूट (मिस हो) रही हैं। 

मुझे लगता है कि दिल्ली के सभी अकादमियों से होनहार खिलाड़ियों को चयनित किया जाने के जरूरत है जो हो रहा है, और उन्हें  एक अकादमी मे रख कर उनकी खेल कैरियर कि जरूरतों को पूरी तरह से पूरा किया जाएगा। उस सेंटर मे सर्वोत्त्म खेल और ट्रेनिंग उपकरण, सर्वोत्त्म कोच, नई तकनीक, सबसे अच्छे स्पोर्ट्स डाक्टर, पोषण प्रशिक्षक, मसाज विशेषज्ञ और मनोचिकित्सक के साथ  सभी सुविधाएं इस प्रकार से होनी चाहिए जिससे कि खिलाड़ियों को उच्चतम खेल संभावनाओं को प्राप्त करने मे मदद मिल सके।
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