दक्षिण चीन सागर में अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ता ही जा रहा है। साउथ चाइना सी के विवादित क्षेत्र में चीन के 70 दिनों तक चलने वाले युद्धाभ्यास के जवाब में अमेरिका ने अपने दो एयरक्राफ्ट कैरियर और बड़ी संख्या में लड़ाकू विमान तैनात किए हैं। अमेरिका की इस कार्रवाई से टेंशन में आए चीन ने भी अब अपने कृत्रिम द्वीपों पर फाइटर जेट तैनात कर दिए हैं। चीन और अमेरिका के बीच चल रहे वार-पलटवार से इलाके में तनाव काफी बढ़ गया है।
वूडी द्वीप समूह पर तैनात किए 8 फाइटर जेट
सैटलाइट से मिली तस्वीरों से पता चला है कि चीन ने दक्षिण चीन सागर में विवादित वूडी द्वीप समूह पर बनाए गए हवाई ठिकाने पर 8 फाइटर जेट तैनात किए हैं। इनमें से 4 जे-11Bs हैं और बाकी बमवर्षक विमान तथा अमेरिकी युद्धपोतों को निशाना बनाने में सक्षम फाइटर जेट हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक वूडी द्वीप समूह पर पहली बार इतनी बड़ी तादाद में फाइटर जेट तैनात किए गए हैं। यह सैन्य अड्डा परासेल द्वीप समूह में सबसे बड़ा सैन्य ठिकाना है। यह इलाका चीन, वियतनाम और ताइवान से सटा हुआ है। इन चीनी विमानों के आने से साउथ चाइना सी का बहुत तेजी से सैन्यीकरण होता जा रहा है।
अमेरिका ने शुरू किया दूसरे दौर का युद्धाभ्यास
दक्षिण चीन सागर में चीन की किसी भी नापाक हरकत का जवाब देने के लिए अमेरिका के जंगी जहाजों ने अब गुरुवार से दूसरे दौर का अभ्यास शुरू किया है। इसमें अमेरिका के दो एयरक्राफ्ट कैरियर यूएसएस निमित्ज और यूएसएस रोनाल्ड रीगन हिस्सा ले रहे हैं। इससे पहले अमेरिकी जंगी जहाजों ने 4 से 10 जुलाई तक सैन्याभ्यास किया था। अमेरिकी नौसेना के सातवें बेड़े के वाइस एडमिरल बिल मर्ज ने कहा, 'क्षेत्र के अन्य सहयोगी देशों की तरह अमेरिका के इन प्रयासों का मकसद दक्षिण चीन सागर में उड़ान भरने, इलाके से समुद्री जहाजों के गुजरने और अंतरराष्ट्रीय नियमों के मुताबिक संचालन करने में सहायता देना है।'
अमेरिका का खतरा बताकर प्लेन तैनात कर रहा चीन
विशेषज्ञों का मानना है कि चीन अमेरिकी विमानों का खतरा दिखाकर दक्षिण चीन सागर का सैन्यीकरण कर रहा है। इसी वजह से वह वूडी द्वीप पर और ज्यादा फाइटर जेट तैनात कर रहा है। उनका कहना है कि चीन हमेशा से ही इन कृत्रिम द्वीपों पर हथियार और फाइटर जेट तैनात करना चाहता था और अमेरिकी अभ्यास के बाद अब उसे ऐसा करने का मौका मिल गया है। इन विमानों की तैनाती के लिए चीन ने पहले से ही तैयारी करके रखी हुई है।
अमेरिका-चीन में तनाव, दहशत में पड़ोसी देश
अमेरिका और चीन के बीच जारी इस तनाव को देखते हुए पड़ोसी देश दहशत में आ गए हैं। मलेशिया के विदेश मंत्री हिशामुद्दीन हुसैन ने अमेरिका और चीन दोनों के सैन्य रुख पर चिंता जताई है। इंडोनेशिया के कोस्ट गार्ड के चीफ ने भी माना है कि अमेरिका और चीन के बीच प्रतिद्वंदिता बढ़ती जा रही है। अमेरिका ने इस हफ्ते दक्षिण चीन सागर (South China Sea) को लेकर अपना कड़ा रुख साफ कर दिया। अमेरिका ने चीन पर आरोप लगाया कि वह दक्षिण चीन सागर पर अपना नौसैनिक साम्राज्य खड़ा करना चाहता है। हालांकि, अहम बात यह है कि जाहिर तौर पर विरोधी बन चुका अमेरिका ही नहीं, ब्रूने, मलेशिया, फिलिपीन, ताइवान, इंडोनेशिया और वियतनाम भी चीन के इस क्षेत्र पर दावे को चुनौती दे रहे हैं।
चीन के लिए साउथ चाइना इसलिए खास
दरअसल, दक्षिण चीन सागर में जिस क्षेत्र पर चीन की नजर है वह खनिज और ऊर्जा संपदाओं का भंडार है। चीन का दूसरे देशों से टकराव भी कभी तेल, कभी गैस तो कभी मछलियों से भरे क्षेत्रों के आसपास होता है। चीन एक 'U' शेप की 'नाइन डैश लाइन' के आधार पर क्षेत्र में अपना दावा ठोकता है। इसके अंतर्गत वियतनाम का एक्सक्लूसिव इकनॉमिक जोन (EEZ), परासल टापू, स्प्रैटली टापू, ब्रूने, मलेशिया, इंडोनेशिया, फिलिपीन और ताइवान के EEZ भी आते हैं। हेग स्थित एक ट्राइब्यूनल ने फिलिपील द्वारे दर्ज किए गए केस में 2016 में कहा था कि चीन का इस क्षेत्र पर कोई ऐतिहासिक अधिकार नहीं है और 1982 के UN Convention on the Law of the Sea के बाद इस लाइन को खत्म कर दिया गया था।