लेखिका-सीमा तोमर ( गाजियाबाद)
रंग सारे घुल जाने दो
मुझे जहाँ को भूल जाने दो
ना आऊं फिर होश में कभी
ऐसे महखानो में डूब जाने दो
रंग सारे घुल....
क्या इश्क़ इश्क़ का शोर लगा रखा है यारो
इक बार हमें भी तो आजमाने दो
रंग सारे घुल..........
अभी तो शुरू हुआ है बेचैनियों का सिलसिला
एक बार जरा हमारी बेचैनियों को भी चैन आने दो
रंग सारे घुल....
कहते है लोग फ़कीर बन जाते है इश्क़ में
जरा हमें भी तो फ़कीर बन जाने जाने दो
रंग सारे घुल जाने दो,मुझे जहां को भूल जाने दो
रंग सारे घुल जाने दो
मुझे जहाँ को भूल जाने दो
ना आऊं फिर होश में कभी
ऐसे महखानो में डूब जाने दो
रंग सारे घुल....
क्या इश्क़ इश्क़ का शोर लगा रखा है यारो
इक बार हमें भी तो आजमाने दो
रंग सारे घुल..........
अभी तो शुरू हुआ है बेचैनियों का सिलसिला
एक बार जरा हमारी बेचैनियों को भी चैन आने दो
रंग सारे घुल....
कहते है लोग फ़कीर बन जाते है इश्क़ में
जरा हमें भी तो फ़कीर बन जाने जाने दो
रंग सारे घुल जाने दो,मुझे जहां को भूल जाने दो
No comments
Post a Comment