बाराबंकी
उत्तर भारत में कछुए के मांस की तस्करी का पहला मामला सामने आया है। बाराबंकी जिले की लोनी कटरा पुलिस ने कछुआ मांस तस्करी का राजफाश किया है। यह मांस उत्तराखंड ले जाया जा रहा था। इंटरपोल से लेकर डब्ल्यूसीसीबी, कछुओं पर काम करने वाली संस्था टीएसए समेत तमाम लोगों से बातचीत में पता चला कि यह उत्तर भारत में अपने आप में पहला मामला है। अभी तक जिंदा कछुओं की तस्करी के अंतरराष्ट्रीय मामले सामने आए हैं। पुलिस ने उत्तराखंड, रायबरेली, लखनऊ निवासी छह लोगों को गिरफ्तार कर इनके पास से 120 किलोग्राम कछुए का मांस बरामद किया।
इस मामले में पकड़ा गया मुख्य आरोपी रामानंद भगत मूल रूप से बंगाल का निवासी है, जो कि उत्तराखंड में रहता है। उसके साथ रायबरेली का गुड्डू, कमलेश और लखनऊ के पीजीआई थाना क्षेत्र का निवासी विशाल, राकेश और बरौली निवासी सलमान शामिल हैं। यह मांस खाने के लिए तस्करी किया जाता है।
रामानंद इसको उधम सिंह नगर, पीलीभीत व आसपास जिलों सहित बंगाली बस्तियों में सप्लाई करता था। पुलिस ने इनके पास से एक हाफ डाला, उसमें रखे थर्माकोल के चार बॉक्स में भरा मांस, दो हथौड़ी, छेनी सहित एक बाइक बरामद की है।
तस्कारों की सूचना पर की गई थी घेराबंदी
बाराबंकी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ. अरविंद चतुर्वेदी ने बताया कि लोनी कटरा पुलिस ने रायबरेली से आ रही एक गाड़ी में कछ़ुआ मांस होने की सूचना पर घेराबंदी कर उसे रोका। इसके पीछे आ रहे बाइक सवार यह देखकर भागने लगा तो पुलिस ने उसे भी पकड़ लिया गया। गाड़ी की तलाशी ली गई तो उसमें थर्माकोल के डिब्बों में मछली और मछली के नीचे कछुए का मांस बर्फ के साथ छिपा हुआ था।
चतुर्वेदी ने बताया इसकी जानकारी होने पर वाइल्ड लाइफ क्राइम ब्यूरो (डब्ल्यू0सी0सी0बी) के विशेषज्ञ एसपी ने इस मामले में जांच पड़ताल शुरू कर दी। इंटर पोल से लेकर डब्ल्यूसीसीबी, कछुओं पर काम करने वाली संस्था टीएसए सहित तमाम लोगों से बातचीत में पता चला कि यह उत्तर भारत में अपने-आप में पहला मामला है। अभी तक जिंदा कछुआ की तस्करी के अंतरराष्ट्रीय मामले सामने आए हैं। लेकिन कछुआ के मांस का मामला नहीं देखने को मिला था।
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