लखनऊ।
सिटी मोंटसेरी स्कूल के संस्थापक प्रबंधक डा0 जगदीश गांधी ने कोरोना काल में बढ़े ऑनलाइन पढ़ाई के चलन पर कहा कि स्कूली शिक्षा का कोई विकल्प नहीं हो सकता। ऑनलाइन पढ़ाई किसी भी तरह के संकट काल में कुछ समय के लिये तो विकल्प बन सकती है, लेकिन लम्बी अवधि के लिये इसे न तो बच्चों के लिये स्वास्थप्रद माना जा सकता है, न ही समाज और राष्ट्र के लिये।
पत्रकार वार्ता के दौरान उन्होन कहा कि किसी संकट के समय बच्चों को सुरक्षित शिक्षा देने के लिये तो ऑनलाइन पढ़ाई ठीक है, लेकिन हमेशा के लिये ठीक नहीं है। क्योंकि स्कूली शिक्षा में बच्चे स्कूल में आकर न केवल गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करते हैं बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से उनके चरित्र का निर्माण भी होता है। सहयोग, सामूहिकता व वैचारिक सहिष्णुता जैसी प्रक्रियाओं के माध्यम से उनके व्यक्तितव का सर्वांगीण विकास भी होता रहता है। उनके अनुसार लैपटॅाप, स्मार्टफोन व इंटरनेट की सहायता से उच्च या मध्यम वर्ग के बच्चे तो आनलाइन पढ़ाई कर सकते हैं, लेकिन गीरब घरों या सरकारी प्राइमरी स्कूलों के बच्चे इससे वंचित रह सकते हैं।
ऐसे में कमजोर वर्ग के छात्र डिजिटल असमानता की तरफ बढ़ेंगे जबकि शिक्षा समानता लाने का सबसे बड़ा जरिया है। डा0 गांधी के अनुसार 21वीं सदी की अधिकांश युवा पीढ़ी अतीतकाल की तुलना में काफी समझदार है। वह मात्र पैसे के लालच में अपने उज्जवल भविष्य को दांव पर लगाने की गलती करने को कतई तैयार नहीं होगे। उनके अनुसार इस सदी के बच्चे विषयों का अधिक से अधिक गहराई से अध्ययन करना चाहते हैं। उनका मानना है कि बच्चे 12वीं कक्षा के बाद मात्र जल्द पैसा कमाने के लालच में इंटरनेट पर ऑनलाइन कोर्स नहीं करेंगे।
डा0 गांधी के अनुसार कोरोना संक्रमण के कारण देश के सभी स्कूल व कालेज जब बंद हो गये तब सीएमएस के शिक्षकों ने चुनौती स्वीकार करके आनलाइन पढ़ाई कराने का बीड़ा उठाया। साथ ही 24 मार्च से ही ‘गूगल क्लासरूम प्लेटफार्म’ के सहयोग से सभी कक्षाओं की ऑनलाइन क्लासेज शुरू कराई। चूंकि सीएमएस में प्रेसीडेंट प्रो0 गीता गांधी किंगडन और डायरेक्टर ऑफ स्ट्रेटेजी रोशन गांधी के प्रयास से ई लर्निंग विभाग की स्थापना पहले ही हो चुकी थी, इसलिये इसमें दिक्कत नहीं हुई।
डा0 गांधी के अनुसार सीएमएस के अभिभावक इस संकटकाल में सहर्ष बच्चों की फीस देकर सहयोग भी कर रहे हैं। कुछ दिक्कत आयी भी हैं, लेकिन विश्वास है कि इस संशय की स्थिति को जल्द दूर कर लिया जायेगा। उन्होने आगे बताया कि इस वर्ष अभी तक सीएमएस के 82 छात्र विदेशों के ख्यातिप्राप्त विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिये आमंत्रण पा चुके हैं। यही नहीं अभी और छात्रों के चुने जाने की संभावना है। सीएमएस प्रदेश के एकमात्र एसएटी (सैट) व एडवांस प्लेसमेंट (एपी) टेस्ट सेंटर है जो प्रदेश व आसपास के अन्य राज्यों के छात्रों को विश्व के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में स्कॉलरशिप के साथ उच्च शिक्षा प्राप्त करने में मदद कर रहा है। इससे पहले, विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के इच्छुक प्रदेश के छात्रों को सैट परीक्षा के लिये दिल्ली जाना पड़ता था।
सिटी मोंटसेरी स्कूल के संस्थापक प्रबंधक डा0 जगदीश गांधी ने कोरोना काल में बढ़े ऑनलाइन पढ़ाई के चलन पर कहा कि स्कूली शिक्षा का कोई विकल्प नहीं हो सकता। ऑनलाइन पढ़ाई किसी भी तरह के संकट काल में कुछ समय के लिये तो विकल्प बन सकती है, लेकिन लम्बी अवधि के लिये इसे न तो बच्चों के लिये स्वास्थप्रद माना जा सकता है, न ही समाज और राष्ट्र के लिये।
पत्रकार वार्ता के दौरान उन्होन कहा कि किसी संकट के समय बच्चों को सुरक्षित शिक्षा देने के लिये तो ऑनलाइन पढ़ाई ठीक है, लेकिन हमेशा के लिये ठीक नहीं है। क्योंकि स्कूली शिक्षा में बच्चे स्कूल में आकर न केवल गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करते हैं बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से उनके चरित्र का निर्माण भी होता है। सहयोग, सामूहिकता व वैचारिक सहिष्णुता जैसी प्रक्रियाओं के माध्यम से उनके व्यक्तितव का सर्वांगीण विकास भी होता रहता है। उनके अनुसार लैपटॅाप, स्मार्टफोन व इंटरनेट की सहायता से उच्च या मध्यम वर्ग के बच्चे तो आनलाइन पढ़ाई कर सकते हैं, लेकिन गीरब घरों या सरकारी प्राइमरी स्कूलों के बच्चे इससे वंचित रह सकते हैं।
ऐसे में कमजोर वर्ग के छात्र डिजिटल असमानता की तरफ बढ़ेंगे जबकि शिक्षा समानता लाने का सबसे बड़ा जरिया है। डा0 गांधी के अनुसार 21वीं सदी की अधिकांश युवा पीढ़ी अतीतकाल की तुलना में काफी समझदार है। वह मात्र पैसे के लालच में अपने उज्जवल भविष्य को दांव पर लगाने की गलती करने को कतई तैयार नहीं होगे। उनके अनुसार इस सदी के बच्चे विषयों का अधिक से अधिक गहराई से अध्ययन करना चाहते हैं। उनका मानना है कि बच्चे 12वीं कक्षा के बाद मात्र जल्द पैसा कमाने के लालच में इंटरनेट पर ऑनलाइन कोर्स नहीं करेंगे।
डा0 गांधी के अनुसार कोरोना संक्रमण के कारण देश के सभी स्कूल व कालेज जब बंद हो गये तब सीएमएस के शिक्षकों ने चुनौती स्वीकार करके आनलाइन पढ़ाई कराने का बीड़ा उठाया। साथ ही 24 मार्च से ही ‘गूगल क्लासरूम प्लेटफार्म’ के सहयोग से सभी कक्षाओं की ऑनलाइन क्लासेज शुरू कराई। चूंकि सीएमएस में प्रेसीडेंट प्रो0 गीता गांधी किंगडन और डायरेक्टर ऑफ स्ट्रेटेजी रोशन गांधी के प्रयास से ई लर्निंग विभाग की स्थापना पहले ही हो चुकी थी, इसलिये इसमें दिक्कत नहीं हुई।
डा0 गांधी के अनुसार सीएमएस के अभिभावक इस संकटकाल में सहर्ष बच्चों की फीस देकर सहयोग भी कर रहे हैं। कुछ दिक्कत आयी भी हैं, लेकिन विश्वास है कि इस संशय की स्थिति को जल्द दूर कर लिया जायेगा। उन्होने आगे बताया कि इस वर्ष अभी तक सीएमएस के 82 छात्र विदेशों के ख्यातिप्राप्त विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिये आमंत्रण पा चुके हैं। यही नहीं अभी और छात्रों के चुने जाने की संभावना है। सीएमएस प्रदेश के एकमात्र एसएटी (सैट) व एडवांस प्लेसमेंट (एपी) टेस्ट सेंटर है जो प्रदेश व आसपास के अन्य राज्यों के छात्रों को विश्व के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में स्कॉलरशिप के साथ उच्च शिक्षा प्राप्त करने में मदद कर रहा है। इससे पहले, विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के इच्छुक प्रदेश के छात्रों को सैट परीक्षा के लिये दिल्ली जाना पड़ता था।
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