सुनो कान्हा ...
मैनै पिया तुम्हारा प्रेम
घूँट-घूँट,
थोड़ा तड़पी छटपटाई ,
कन्ठ भी हुआ नीला
पर प्रेम मगन जोगन मीरा कहलाई।
सुनो जादूगर
मैनै जो चखा तुम्हारा प्रेम
अन्तस फैला उजास
चतुर्दिक प्रकाश ही प्रकाश
थोड़ा सिमटी सकुचाई
पर फिर ग्रह नक्षत्रों सी जगमगाई।
सुनो छलिया
गये जो तुम मथुरा उलझे धर्म कर्म,
और भिजवाया संदेशा जोग
अरे वो निर्मोही ,
विरह में लिपटी प्रीत रीति निभायी
फिर भी राधा सी मुस्कुरायी ।
सुनो केशव
जगत नियन्ता
मृदु मधुर वचनों में कर दी
तुमने जो मेरी रूसवाई
ब्रह्म सत्यम् ,जगत् मिथ्या
गुरू उद्वव से विमोह मन्त्र की जो ये
"प्रेम दक्षिणा" दिलवाई।
कैसे हो !कहो अब !
मेरे इस इन्तजार की भरपाई
बोलो भी न...छलिया वो मनमोहन कन्हाई .. 🙏🙏🌹🌹
लेखिका - किरण मिश्रा "स्वयंसिद्धा"
नोयडा
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