कानपुर।
उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (यूपीएमआरसी) के तत्वाधान में कानपुर मेट्रो का सिविल निर्माण कार्य बेहद तीव्र गति के साथ आगे बढ़ रहा है और अब परियोजना के साथ एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ी चुकी है। श्री राजेंद्र कुमार तिवारी, मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन की उपस्थिति में आईआईटी और राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के बीच पियर (पिलर) संख्या 17 और 18 पर परियोजना का पहला यू-गर्डर रखा गया। यू गर्डर का रखा जाना मेट्रो निर्माण की दिशा में अहम पड़ाव होता है, दरअसल रोलिंग स्टॉक्स (मेट्रो ट्रेनों) के आवागमन के लिए यू-गर्डर्स पर ही ट्रैक बिछाया जाता है और फिर सिग्नलिंग सिस्टम और ट्रैक्शन सिस्टम इन्सटॉल किए जाते हैं। कानपुर में आईआईटी से मोतीझील के बीच बने रहे लगभग 9 किमी. लंबे प्रयॉरिटी कॉरिडोर के अंतर्गत कुल 638 यू-गर्डर्स रखे जाने हैं।
योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश और हरदीप सिंह पुरी, केंद्रीय राज्य मंत्री, आवास और शहरी कार्य मंत्रालय (स्वतंत्र प्रभार), भारत सरकार की गरिमाई उपस्थिति में 15 नवंबर, 2019 को कानपुर मेट्रो के प्रयॉरिटी सेक्शन के सिविल निर्माण कार्य का शुभारंभ हुआ था। यह एक बड़ी उपलब्धि है कि महज़ साढ़े आठ महीने के समय में यूपीएमआरसी मेट्रो वायडक्ट पर पहले यू-गर्डर का इरेक्शन कर लिया है।
कोविड-19 संक्रमण के कारण हुए लॉकडाउन के चलते परियोजना के सिविल निर्माण कार्य में रुकावट आई थी, लेकिन मेट्रो इंजीनियरों की कुशल रणनीति की बदौलत समय के नुकसान की भरपाई हुई और निर्माण कार्य ने पुनः अपनी लय हासिल कर ली। 29 अप्रैल, 2020 को कास्टिंग यार्ड और मेट्रो डिपो में बेहद सीमित श्रमबल के साथ निर्माण कार्यों को शुरू किया गया था, लेकिन यूपीएमआरसी ने प्रदेश के सीमांत क्षेत्रों से श्रमिकों को वापस लाने और ज़्यादा से ज़्यादा संख्या में स्थानीय स्तर पर श्रमिकों को जुटाने के लिए हर संभव प्रयास किया, जिसके परिणामस्वरूप महज़ 50 दिनों के अंदर श्रमिकों का आंकड़ा 1000 के पार पहुंच गया।
15 मई, 2020 को कॉरिडोर पर निर्माण कार्य की शुरुआत हुई और बहुत ही कम समय में सड़क पर हो रहे निर्माण कार्य ने भी रफ़्तार पकड़ ली। प्रयॉरिटी कॉरिडोर के अंतर्गत पाइलिंग का काम लगभग 60 प्रतिशत तक पूरा हो चुका है और अभी तक 1385 पाइल्स तैयार किए जा चुके हैं। इसके अतिरिक्त, 16 डबल टी-गर्डर्स का इरेक्शन भी पूरा हो चुका है। गौरतलब है कि कानपुर मेट्रो, देश की पहली ऐसी मेट्रो परियोजना है, जहां मेट्रो स्टेशन का कॉनकोर्स तैयार करने के लिए डबल टी-गर्डर्स का इस्तेमाल हो है ताकि सिविल निर्माण को गति मिल सके और साथ ही, स्ट्रक्चर की ख़ूबसूरती में भी इज़ाफ़ा हो। प्रयॉरिटी कॉरिडोर में 115 पियर्स (पिलर्स) का निर्माण कार्य भी पूरा हो चुका है। कास्टिंग यार्ड में भी निर्माण कार्य पूरे ज़ोर के साथ आगे बढ़ रहा है।
यूपीएमआरसी के प्रबंध निदेशक, श्री कुमार केशव भी यू-गर्डर इरेक्शन के दौरान साइट पर मौजूद रहे। इस अवसर पर ख़ुशी ज़ाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि कानपुर मेट्रो रेल परियोजना, उत्तर प्रदेश सरकार और भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है। साथ ही, श्री केशव ने मेट्रो इंजीनियरों और कॉन्ट्रैक्टर की पूरी टीम को बधाई देते हुआ कहा कि यूपी मेट्रो कानपुर शहर को न्यूनतम संभावित समय में मेट्रो परियोजना की सौगात देने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए यूपीएमआरसी हर संभव प्रयास कर रहा है।
क्या होता है यू-गर्डर?
मेट्रो के वायडक्ट में पियर्स (पिलर्स) के ऊपर जो प्लैटफ़ॉर्म तैयार करके रखा जाता है, जिसपर मेट्रो ट्रैक बिछाया जाता है, उसे यू-गर्डर कहते हैं। ये गर्डर्स प्री-कास्टेड यानी कास्टिंग यार्ड में पूर्व में ही तैयार कर लिए जाते हैं और इसके बाद इन्हें निर्धारित समय (रात्रि के समय में) पिलर्स के ऊपर क्रेन की सहायता से रखा जाता है।
कानपुर मेट्रो के प्रयॉरिटी कॉरिडोर के लिए 638 यू-गर्डर गर्डर तैयार होने हैं। एक गर्डर की लंबाई लगभग 27 मीटर और वज़न लगभग 147 टन होगा। कानपुर मेट्रो के कास्टिंग यार्ड में एकसाथ 18 गर्डर तैयार करने की व्यवस्था की गई है और एकबार में 6 गर्डर का एक पूरा सेट तैयार किया जाता है।