लेखिका - कुसुम सिंह लता (नई दिल्ली) |
गूंजेंगी फिर से छम-छम,
प्रभु राम की पैजनियाँ।
कौशल्या,कैकई माँ सुमित्रा
लेगी लाल की बलैया।
बाल रूप में राम सखा संग,
खेलेंगे सरयू तीरे,
देख प्रभु की अनुपम लीला,
कानन डोलेगा धीरे।
सजी आलौकिक तारों से,
सम्पूर्ण अयोध्या नगरी,
चांद सितारों ने कर ली,
प्रभु स्वागत की तैयारी।
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड है चहक उठा,
हो पवन सुगन्धित लरज उठा,
वेद - मंत्रों की स्वर - लहरी से,
हिरण्य भूमि दमक उठी।
शंखनाद से गूँज उठा,
जल, थल और वायुमंडल,
स्वर्ग लोक में झूम उठे,
देव! कर में थाम कमंडल!
यज्ञों के पावन हवन कुंड से,
सुगंधित सकल संसार हुआ,
विश्व धर्म गुरु के पथ पर,
भारत फिर से अग्रसर हुआ।