अंजनी अग्रवाल ओजस्वी
कानपुर
मन्द मन्द हवाओं ने किया आगाज।
काले काले मेघ ने दी हैं दस्तक
आ गए बदल।
तैरती हुई हवाओ ने किया शोर
छा गया इंद्र धनुषी पल
आ गए बादळ ।
मन की कालिख़ को दिए धो
उल्लास का आनन्द छह गया
पंख पसरे मयूर गीत गाये मन के
आ गए बादल।
गांव वाले पोखर हो गए सराबोर
मन हो चंचल करें शोर
मच गया शोर चहुं ओर
आ गए बादळ।
हरियाली सी छटा छा गयी
क्यारियो में सज गए
स्वप्न के शतदल
आ गए बादल।
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