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लेखिका - सीमा तोमर (गाज़ियाबाद) |
राम नाम का डंका बाजे
चले बसने अयोध्या राम
उमंग में झूमी विश्व भारती
लेकर प्रभु का नाम
मथुरा बसे ज्यों बांके बिहारी,
बसे अयोध्या श्री राम
सगुण हो चाहे, राम हो निर्गुण
बस हो भक्ति भाव निष्काम
केवट जैसा मित्र भाव है
चित्रकूट सा धाम
राम लला की छवि निराली
सुंदर मूरत नयनभिराम
राम नाम का डंका बाजे
चले अयोध्या राम
नीति, न्याय, बलिदान के प्रेरक
ऐसे थे श्री राम
सरयू किनारे छटा बिखेरी
बना चित्रकूट धाम
पूर्ण हुआ प्रण राम ठोर का
हर मन बस गए राम
ऐसे घट घट व्यापी श्री राम को
सीमा का साष्टांग प्रणाम
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