सब चीजों के साथ साथ
थोड़ा समंदर भी भर लिया
आंखों में,
थोड़ी रेत छुपा ली
हाथों में।
सर्दी की ठिठुरन को
इस हवा में लपेट कर
जैकेट की जेब में भर लिया।
हुनर सीख के तुमसे
भावों को चीज़ों में बदलने का
हमने उसका नाम
कविता रख दिया।
प्रेम को जहां और
प्रेमी को ख़ुदा कर लिया।
खुदी को कर बुलंद
हौसला फिर
रवा कर लिया।
हमने हंसना ना छोड़ा
तुमने रोने न दिया,
फिर से जंग का
ऐलान कर दिया।
वो हराती है हमको
हम हारते नहीं
ज़िन्दगी ने इस बात को
दिल पे ले लिया।
पूरे जोश से आई है टकराने
ताल ठोंक हमने भी
सामना कर लिया।
लेखिका - विनीता मिश्रा
लखनऊ
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