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प्रेम तुम्हारा अलकनंदा सा - पंकज त्रिपाठी

Thursday, August 6, 2020

/ by Dr Pradeep Dwivedi
लेखक - पंकज त्रिपाठी (लखनऊ)

हृदय तुम्हारा  है गंगा सा 
प्रेम तुम्हारा अलकनंदा सा

जमुना सी तुम श्यामल श्यामल 
अश्रु तुम्हारे ज्यों गंगाजल
महानदी सी मंद वाहिनी
कावेरी सी सुख दायनी
कटि प्रदेश सुंदर ज्यों क्षिप्रा
और उरोज कंचनजंघा सा
हृदय तुम्हारा है गंगा सा ............... 

सरस्वती से अदृश्य हुए हो 
फिर भी तुम अधिकार किएँ हो
गंगा जमुना का संगम हो 
मेरे प्रेम के तुम उदगम हो
नजर हमारी घाटी घाटी
रुप तुम्हारा गौरी गंगा सा ........... 

 कोसी सी तुम महा प्रबल हो
और नर्मदा सी उज्जवल हो
मध्य भाग में तुम सतलुज सी 
ब्रह्मपुत्र ज्यौं चरण कमल हो 
तुंगभद्रा सा आंचल तेरा 
और दुपट्टा बाणगंगा सा.......... 

हृदय तुम्हारा  है गंगा सा 
प्रेम तुम्हारा अलकनंदा सा
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