" शिल्पी " मौलिक, लखनऊ
तेरे अधरो पर बंसी
तेरे माथे का चंदन
सिरे सोहे ये मोर मुकूट
तेरा कोपल चंचल चितवन
मेरे नैंनो में बस जा
छवि " राधा " संग " मोहन "
चहुँ ओर भक्ति छाई
मद मस्त हुआ मधुबन
श्री कृष्ण गोपाल हरी
श्री राधे गोविंदा
परमात्म विलोचन तुम
तुम सकल विश्वरूपा
गोविंद गोपाल हरी
श्री राधे गोविंदा