अडिग हिमालय से दृण,
खड़े है सीमा पर प्रहरी,
सुख की चिंता करते नही,
न दुख देता कष्ट उन्हें,
ये भारत माता के प्रेमी,
प्राण लिए रहते हथेली,
मा के दूध का कर्ज और,
भुला देते बहना की राखी,
मातृ भूमि की माटी की,
सुरक्षा है इनको अति प्यारी,
हर पल मौत से सामना,
होता रहता है इनका,
डिगते नही पल भर भी,
खड़े रहते ताने छाती,
चीते सी रखते फुर्ती,
चील सी दृष्ट रहती इनकी,
कोई पर्व हो,
या हो उत्सव घर पर,
सीमा पर डटे रहते प्रतिपल,
कोई चाहत न रखते मन मे,
सीमा के ये समर्पित पुजारी,
भारत माता की रक्षा में,
अडिग हिमालय से दृण,
खड़े है सीमा पर प्रहरी,
हर नारी की इच्छा होती,
बांधे उनकी कलाई पर राखी,
पूरा देश सुरक्षित इनसे,
ये नारी के सच्चे भाई,
जाग रहे है सीमा पर,
देश को सुरक्षित रखने को,
त्याग,उदारता से भरपूर,
अडिग हिमालय से दृण,
खड़े है सीमा पर प्रहरी।
लेखिका - रीता पंकज शुक्ला, सौम्या लखनवी
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