अन्जनी अग्रवाल ओजस्वी (कानपुर नगर) |
स्वतंत्रता दिवस की, शुभघड़ी आई।
हर्षोउल्लास की हो, सबको बधाई।।
इस बार कुछ ,नया तो करो भाई।
स्वदेशी को, अपनाने की ऋतु आई.।।
बिगुल दो बजा, नई क्रांति का ।
स्वदेशी अपनाकर चमकने का।।
जलाओ ,विदेशता की होली ।
न रह जाये , खाली कोई झोली।।
अभी एक किरण ,फूटी है जग में ।
ज्वलन्त शांति स्वर, न्याय अधर में ।।
नई भोर ने तो हैं ,अब आंखें खोलीं।
स्वदेशी से अब तो, भर लो झोली ।।
अनोखी अद्भुत, पाओगे सफलता ।
यही है ,जीवन की तुम्हारे अमरता।।
नित्य नए आयामों की, करो उम्मीद।
पर देशों से अब तो, लो कुछ सीख।।
देशभक्ति की धारा, स्वत ही बहेगी ।
तभी तो हमारी पीढ़ी ,सुख सहेगी ।।
गर जो साथ, मिलकर चले परस्पर।
न होगा बन्द, जीवन का दफ्तर।।
करो मांग ,नई चेतना से हो तत्पर।
न होगा किसी का, दुखी घर वर।।
लो शपथ ,न लेंगे सामान विदेशी।
अन्जनी बात में, भी है सब देशी ।।
अभी तो ,नई भोर है, आँखें खोलो ।।
अपनत्व व निजत्व से, मुँह धोलो ।।
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