रेखा रविदत्त, दिल्ली |
मोहब्बत -ए-वतन के जज्बात बताऊँ,
देश की खातिर मैं मर जाऊँ,
माँ झुकने ना दूँगा सिर ये तेरा,
बना तिरंगे को अपना सेहरा,
देता आशीष माँ-बाप का मन,
रोती है छुपकर छोटी बहन,
सिंदूरी तिलक से दमकेगा मेरा चेहरा,
बना तिरंगे को अपना सेहरा,
भारत माता से किया वादा निभाऊँगा,
दे प्राण दुश्मन को ढ़ेर कर जाऊँगा,
लगा सरहद पर सख्त पहरा,
बना तिरंगे को अपना सेहरा,
जीवन मेरा देश की खातिर,
छुपकर बैठें हैं देश में शातिर,
खोलूँगा उनका राज ये गहरा,
बना तिरंगे को अपना सेहरा,
दे प्राण कर्ज चुकाया है,
तिरंगे को सदा शीश नवाया है,
ले लिया मौत के संग फेरा,
बना तिरंगे को अपना सेहरा।
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