सोनिया कृषा ( कैथल)
प्यार में तेरे कुछ ऐसा कर जाना
चाहती हूँ,इश्क़ से जलने वालों
की आँखों में मैं किरकिरी
की तरह भर जाना
चाहती हूँ,
और चाहती हूँ बार-बार विसर्जित
हो जाना,नये पुष्प बनकर तुझ
पर चाहती हूँ फिर से
अर्पित हो
जाना,
दबाकर प्यास तेरी मर जाना नहीं
चाहती हूँ मैं,ना तरसना चाहती
हूँ खुद,कि तुझको तरसाना
नहीं चाहती
हूँ मैं,
मैं चाहती हूँ मणिक्रनिका घाट सी
तेरी नियती हो जाऊँ मैं,ज़िंदगी
में विरह तेरा झेलूँ,औ तुझे
जीवन की अति
पर पाऊँ मैं।
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