योगिनी मीनाक्षी शर्मा ( दिल्ली)
धड़कन काशी हो जाती है
जब साँसें प्यासी हो जाती है अँखियो में प्रमात्मा झलकता है जब आत्मा सन्यासी हो जाती है
ध्यान यानि रोज़ नया अनुभव
जो नियमित ध्यान करते हैं उनकी आध्यात्मिक उन्नति शीघ्रता से होती हैं, उनके अंदर शांति, शक्ति और प्रसन्नता का नवीन संचार होता हैं। उन्हें हर ध्यान के बाद नई प्रेरणा मिलती हैं! एक बार का ध्यान हमे पुराने संस्कारो धारणाओं और विकारों से मुक्त करके नए उत्साह से भर देता हैं; एक बार का ध्यान भी इतना दे देता है कि हम समझ नही पाते । मैंने हर ध्यान सिटींग के बाद पहले से स्वयं को बेहतर महसूस किया, नया तरो ताजा पाया । ध्यान हमे नित्य नवीन आनंद से भर देता हैं नित्य नवीन का अर्थ है....
रोज नया अनुभव..
रोज नया आनंद..
संसार का सब सुख पुराना हो जाता हैं सब सुख क्षणिक हैं जो सुख एक बार मिल जाता हैं उसका रस खत्म हो जाता हैं, मगर *ध्यान का आनंद रोज नया हैं कभी पुराना नहीं होता इसका रस बढ़ता हैं*। जो जितना ध्यान करेगा उतना गहन आनंद को महसूस करेगा नित्य नवीन ।
सत्संग / ग्रुप ध्यान में सम्मिलित होने से...ध्यान में निरंतरता बनी रहती हैं, जब कभी भी हम निराश हो दु:खी हो या साधना से भटक गए तो एक बार ध्यान सत्संग में सम्मिलित हो जाये तो पुनः साधना चालू हो जाती हैं।
आप ऐसे व्यक्ति से जुड़िये जो स्वयं ध्यान करता हो और दूर से ही जुड़े न रहे बल्कि जब भी मौका मिले उनके साथ ध्यान कीजिये, आप ध्यान और काम के बीच संतुलन बना लेंगे । जीवन तभी आनंद हैं जब जीवन मे एक संतुलन हो अंदर और बाहर दोनो में.. व्यक्ति अंदर से अशांत और असंतुलित हो तो बाहर का कोई प्रयास उसे प्रसन्नता नही दे सकता...और जो अंदर से संतुलित हो जाएगा उसका बाहय जगत तो स्वमेव ही संतुलित हो जाएगा.. एक कदम जीवन को बदलने के लिए काफी हैंं...बस एक कदम बढ़ाएं ईश्वर खुद ही उसके हाथों को थाम लेता हैं।
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