सीमा तोमर, गाज़ियाबाद
देखकर फिजाये सारी, गुल का नज़ारा कौन करता है
न में तुम्हे बाँधु बंदिशों में,
ना तुम मुझे रोकना
देखते है तड़प कर पहले
इशारा कौन करता है
हम तो समझे थे दो जिस्म और एक जान खुद को
अब देखते है इस दिल का बटवारा कौन करता है
देखते है तड़प..... कौन करता है
तुम नही जिंदगी में मगर , जिंदगी समझते है तुमको
हम भी देखेंगे जमाने में तुमको,
हमसे ज्यादा प्यार कौन करता है
देखते है तड़प कर पहले
इशारा कौन करता है