निखिलेश मिश्रा, लखनऊ
गुड़हल या जवाकुसुम वृक्षों के मालवेसी परिवार से संबंधित एक फूलों वाला पौधा है। इसका वनस्पतिक नाम है- हीबीस्कूस् रोज़ा साइनेन्सिस। इस परिवार के अन्य सदस्यों में कोको, कपास, भिंडी और गोरक्षी आदि प्रमुख हैं।
यह विश्व के समशीतोष्ण, उष्णकटिबंधीय और अर्द्ध उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है। गुडहल जाति के वृक्षों की लगभग 200–220 प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें से कुछ वार्षिक तथा कुछ बहुवार्षिक होती हैं। साथ ही कुछ झाड़ियाँ और छोटे वृक्ष भी इसी प्रजाति का हिस्सा हैं। गुड़हल की दो विभिन्न प्रजातियाँ मलेशिया तथा दक्षिण कोरिया की राष्ट्रीय पुष्प के रूप में स्वीकार की गई हैं।
इस के फूल को अड़हुल का फूल भी बोलते हैं। अधिकांशतः गुड़हल के फूल का इस्तेमाल पूजा-पाठ आदि कामों के लिए किया जाता है, लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि गुड़हल के फूल का सेवन भी किया जाता है, और रोगों के इलाज में भी गुड़हल के फूल के फायदे मिलते हैं।
आयुर्वेद में गुड़हल के फूल को एक बहुत ही उत्तम औषधि बताया गया है। पतंजलि के अनुसार, गंजेपन की समस्या, बालों को बढ़ाने में अड़हुल से फायदे मिलते हैं। इतना ही नहीं कई गंभीर बीमारियों के उपचार के लिए अड़हुल का उपयोग किया जाता है।
गुड़हल के फूल घंटाकार होते हैं। इसे बाग-बगीचे, घर और मंदिरों में लगाया जाता है। गुड़हल का फूल इकहरा, दोहरा, तिहरा, लाल, सफेद या सफेद लाल, बैंगनी, पीला, नारंगी इत्यादि कई रंगों का होता है। इसकी केसर बाहर निकली हुई होती है। सफेद, और सफेद तथा लाल रंग वाला गुड़हल फूल विशेष गुणकारी होता है।
गुड़हल की मुख्यतया दो प्रजातियां होती हैं।
-जपा बड़ी (Hibiscus rosa-sinensis Linn.)
-जपा छोटी (Malvaviscus arboreus Cav.)
अन्य भाषाओं में गुड़हल के नाम (Gudhal Called in Different Languages)-
गुड़हल का वानस्पतिक नाम हिबिस्कस रोजा-सायनेन्सिस (Hibiscus rosa-sinensis Linn., Syn-Hibiscus festalis Salisb है, और यह मालवेसी (Malvaceae) कुल से है।
इस के अन्य नाम ये भी हैं-
Hindi – जवा, ओड्रहुल, अढ़ौल, गुड़हल, जवाकुसुम, अड़हुल
English – शू फ्लावर (Shoe Flower), रोज मैलो (Rose mallow), रोज आफ चाइना (Rose of china), गार्डन हिबिस्कस (Garden hibiscus), चाइना रोज (China rose)
Sanskrit – औड्रफूल, जपा, अरुण, प्रतिका, अर्कप्रिया, हरिवल्लभ, त्रिसन्ध्या
Oriya – मोनदरो (Mondaro), ओडोफूलो (Odophulo)
Kannada – दासणिगे (Dasnigae), दसवला (Dasavala)
Gujarati – जासुद (Jasud), जासूवा (Jasuva)
Telugu – दासनी (Dasani), दासनमु (Dasanamu)
Tamil – सेम्बारुट्टी (Sembarattai), सेवारट्टी (Sevarattai)
Bengali – ओरु (Oru), जुबा (Joba)
Nepali – जपा कुसुम (Japa kusum), गुड़हल (Gudahal)
Marathi – जास्वन्द (Jasavanda), जासवन्दी (Jassvandi)
Malayalam – चेम्पारट्टी (Chemparatti), शेम्पारट्टी (Shemparatti)
Arabic – अंघारे हिन्दी (AngharaeHindi)
Persian – अंगारेहिन्दी (AngaraeHindi)
गुड़हल के फायदे (Gudhal Benefits and Uses in Hindi)
गुड़हल के फूल के फायदे (gudhal ke fayde) बहुत सारे हैं। गुड़हल के औषधीय प्रयोग, इस्तेमाल की मात्रा एवं विधियां-
नींद न आने की परेशानी में गुड़हल से लाभ-
गुड़हल के 100 फूल लें। हरे डंठल को तोड़कर पंखुड़ियों को नींबू के रस में भिगो लें। इसे कांच के बर्तन में रात किसी खुले स्थान पर रख दें। सुबह इसे मसलकर छान लें। इसमें 650 ग्राम मिश्री या चीनी, तथा 1 बोतल उत्तम गुलाब जल मिला लें। इसे दो बोतलों में बंद कर धूप में दो दिन तक रखें। इस दौरान बोतल को हिलाते रहें। मिश्री अच्छी तरह घुल जाने पर शरबत बन जाता है। इसे 15 से 40 मिली की मात्रा में पीते रहने से नींद न आने की परेशानी में लाभ होता है।
बालों को बढ़ाने में गुड़हल के फायदे-
गुड़हल के पत्तों को पीसकर लुग्दी बना लें। इसे बालों में लगाएं। दो घंटे बाद बालों को धोकर साफ कर लें। इस प्रयोग को नियमित रूप से करने से बालों को पोषण मिलता है, और सिर भी ठंडा रहता है।
गुड़हल के ताजे फूलों (gudhal ke phool) के रस में बराबर मात्रा में जैतून का तेल मिलाकर आग में पका लें। जब तेल केवल रह जाए तो शीशी में भरकर रख लें। रोजाना बालों में मल कर जड़ों तक लगाने से बाल चमकीले और लम्बे होते हैं।
अड़हुल के फूल और भृंगराज के फूल को भेड़ के दूध में पीसकर लोहे के बर्तन में रखें। सात दिन बाद निकालकर भृंगराज के पंचांग के रस में मिलाएं। इससे बाल धोने से बाल काले हो जाते हैं।
लौह भस्म, आंवला चूर्ण तथा जपा के फूल (jaba phool) से बने पेस्ट से सिर में लेप करने से बाल लम्बे समय तक काले रहते हैं।
रूसी (डैंड्रफ) की समस्या में गुड़हल के फायदे-
आप रूसी की समस्या से छुटकारा पाने के लिए भी गुड़हल के फायदे ले सकते हैं। गुड़हल के फूल के रस में बराबर मात्रा में तिल का तेल मिला लें। इसे उबालें। तेल बाकी रहने पर उतारकर छान लें। इसे शीशी में भर लें। इस तेल को लगाने से रूसी (डैंड्रफ) खत्म हो जाता है।
नोट- किसी विशेसज्ञ से मशविरा उपरांत ही उपयोग में लें।
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