लेखिका- सरिता त्रिवेदी
पाँव के नीचे अंगारे गारे थे
जब फूलों पर छंद लिखे
ताल तलैया अश्रु नैन थे
जब मधुस्मित मंद लिखे
हृदय पे अनगिन घाव लिये
प्रेम सिक्त मधु बंध लिखे
पग-पग चलना दूभर था
जब उड़ान के अनुबंध लिखे
सूखे बंजर ऊसर मे
नवांकुरो के प्रबंध लिखे
जेठ के तपते मौसम मे
सावन पर निबंध लिखे
सूखे पत्ते हाथों में भर
पल्लवित वसंत लिखे
अंधियारी काली रातो से
ऊषा के संबंध लिखे
हौसले जब टूट रहे थे
हमने दुर्लभ लक्ष्य लिखे
पैर के छाले फूट रहे थे
म॔जिल के जब दृश्य लिखे
घनीभूत पीड़ा में डूबे तो
जीवन के आनन्द लिखे
उच्छ्वास आहों पर हमने
मीठे गीत सानन्द लिखे
वाह,बेहद खुबसूरत रचना 👌💐
ReplyDelete