इंडेविन न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ।
एलडीए की ट्रांसपोर्ट नगर योजना में 80 भूखंड की फाइलें गायब हैं। इन भूखंडों की कीमत लगभग 100 करोड़ बताई जा रही है। डिस्पोजल रजिस्टर में भी इनका कोई विवरण नहीं है। एलडीए को यह भी नहीं पता कि इन भूखंडों को आवंटित किया गया था या नहीं। जिन भूखंडों की फाइलें नहीं मिल रही है उनका उपयोग ट्रांसपोर्ट से जुड़ी सेवाओं के लिए किया जाना था। मामला सामने आने के बाद सचिव पवन गंगवार ने मामले की जांच शुरू करा दी है। ट्रांसपोर्ट नगर योजना वर्ष 1978 में आई थी उस समय पूरा रिकॉर्ड मैनुअल ही रहता था।
ट्रांसपोर्ट को आवंटन भी सीधे आवेदन पर हुए लेकिन इन भूखंडों की नीलामी नहीं हुई। ऐसे में रिकॉर्ड बाकी भूखंडों की तरह नहीं मौजूद हैं। बाद में कंप्यूटर में भी इन भूखंडों का रिकॉर्ड नहीं चढ़ाया गया। डिस्पोजल रजिस्टर पर भी आवंटन की कोई जानकारी नही है, जिससे आवंटन से संपर्क किया जा सके। ऐसे में संभावनाएं बन रही है कि आवंटन नहीं हुआ हो। यदि ऐसा है तब भी अपने खाली भूखंडों का पता न होना, एलडीए की घोर लापरवाही है।
फर्जी आवंटन की भी आशंका:-
इन भूखंड के फर्जी आवंटन किए जाने की भी आशंका है। क्योंकि इन भूखंडों की कीमत अब व्यावसायिक के बराबर है। इन भूखंडों की मांग भी ज्यादा है। ऐसे में रिकॉर्ड का गायब हो जाना बड़े फर्जीवाड़े की ओर भी संकेत कर रहा है।
हमेशा विवादों में रही ट्रांसपोर्ट नगर योजना:-
एलडीए की ट्रांसपोर्ट नगर योजना हमेशा विवादों में रही है। फर्जी आवंटन से लेकर फाइलों के गायब होने के प्रकरण यहां आते रहे हैं। बिना नीलामी के ही व्यवसायिक भूखंड यहां आवंटित हुए। भूखंडों के अवैध तरीके से समायोजन के मामले भी आए। हालांकि योजना में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर भूखंडों के रिकॉर्ड गायब होने का मामला सामने आया।
नोटिस जारी... कहां किसको आवंटन हुआ होगा साक्षी दिखाएं:-
संयुक्त सचिव व्यवसायिक ने नोटिस जारी किया है। इसमें कहा गया है कि किसी को इन भूखंड का आवंटन किया गया है तो इसके साक्ष्य दिखाएं। ऐसा नहीं होने पर 15 दिन के बाद एलडीए नीलामी से इनकी बिक्री की प्रक्रिया शुरू कर देगा। संयुक्त सचिव डी एम कटिहार का कहना है कि सर्वे भी कराया गया है। इसमें यह भूखंड अभी खाली पड़े हुए हैं। किसी का निर्माण का साक्ष्य नहीं मिला है।