वंदना गुप्ता, लखनऊ |
मैं आपके साथ कुछ पल जीना चाहती हूं जिसमें कोई ना हो,
ना बंदिशें ना रंजिशे,
ना दुनिया की परवाह ,
ना कोई जिम्मेदारी का बोझ,
कहीं शांत प्रकृति के बीच बस हम दोनों हाथों में हाथ और दिल की दिल से बात हो बिना कुछ कहे,
बहुत थक गयी हु सबकुछ संभालते हुए अब
कुछ पल के लिए ही सही फिर से एक बार तुमसे प्यार की बातें करनी हैं ,
अपनी कहनी है और आपकी सुननी है,
कही खो गए हैं हम दोनों शायद
और इंतजार नहीं करना चाहती हुं,
बस अब बहुत हुआ ,
चलो अपनी जिंदगी से मिलने अब चलते हैं आजकल में समय ना निकल जाए फिर यादें तो हो पर काश वाली,
जिंदगी अपनी तो है पर फिर भी सबके लिए जीते है लोग,
भूल जाते है खुद से मिलना,
अब और नहीं चलो चलते हैं कही और जीते हैं कुछ पल अपने लिए भी।