![]() |
सत्येंद्र सिंह ( केरियर कोच, लेखक) |
ग़मों तले
दबाने
के बाद
याद आना तेरा
ठीक नहीं...
आँखों
में पीड़ा
के भावों
का
उभर आना
ठीक नहीं...
अंधेरों
को
रोशन करने,
बुझे दीप
लेकर आना
ठीक नहीं...
मज़बूरियाँ
ओढ़कर
सामने
से
गुज़र जाना
ठीक नहीं...
(काव्य संग्रह - टूटा ही सही एक रिश्ता तो है)
No comments
Post a Comment