राकेश यादव
लखनऊ। ना बाप बडा ना भईया सबसे बड़ा रुपैया....यह कहावत जेल मुख्यालय के अफसरों पर एकदम फिट बैठती है। मुख्यालय अफसरों ने प्रोन्नति पाये जेलरों की तैनाती तो की नही किन्तु कमाई करते हुए पाँच जेलरों को इधर-उधर अटैच कर दिया। मोटी रकम देने वाले अधिकारियों को कमाई वाली जेलों पर तो कम देने वालो को कम कमाऊ जेलो पर अटैच कर दिया गया। यह मामला विभागीय अफसरों में चर्चा का विषय बना हुआ है। चर्चा है को एक जेल अधिकारी जाने से पहले कमाई का कोई अवसर छोड़ना नही चाहता है।
मिली जानकारी के मुताबिक जेल मुख्यालय से गुरुवार को पाँच जेलर का विभिन्न जेलो पर अटैचमेन्ट किया गया। इसमें मुरादाबाद जेल में तैनात जेलर मनीष कुमार को मेरठ, अंजनी गुप्ता को बरेली से बलिया, नागेश को बुलंदशहर से मऊ, राजेश वर्मा को बाराबंकी से ज्ञानपुर के साथ विजय गुप्ता को रामपुर से मुरादाबाद जेल में अटैच किया गया है। सूत्रों का कहना है कि मोती रकम देने वाले मनीष व विजय को कमाऊ सेवर अधिक कमाऊ जेल पर वही कम देने वाले अंजनी, नागेश व राजेश को कमाऊ से कम कमाई वाली जेलो पर भेज दिया गया। बताया गया है कि जेलर मनीष कुमार की मुख्यालय में अच्छी सेटिंग गेटिंग है। इस वज़ह से इसका अधिकांश समय पश्चिम उत्तर प्रदेश की जेलो में ही रहा है। यह तीन बार मुरादाबाद जेल के साथ अलीगढ, गाज़ियाबाद, एटा, शाहजहांपुर में तैनात रहा।
मालूम हो कि पिछले दिनों विभाग में 15 डिप्टी जेलर को जेलर पद पर प्रोन्नत किया गया। इन जेलरो को प्रोन्नत हुए करीब दो माह होने को है किंतु आज तक इनकी तैनाती नही की गई है। प्रोन्नति जेलरो की तैनाती नही होने आलम यह है कि कई जेलो पर जेलर नही है तो कही आधा दर्जन जेलर है। यह अव्यवस्था जेल मुख्यालय व शासन को दिखाई नही पड़ रही है। उधर इस संबंध में एआईजी शरद से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने फ़ोन ही उठाना मुनासिब नही समझा। एक अन्य अधिकारी ने सिर्फ इतना ही कहा कि यह रूटीन प्रक्रिया है। अटैचमेन्ट होते रहते है। नये जेलरों की तैनाती के सवाल पर उन्होंने फ़ोन ही काट दिया।
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