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प्रेमलता, गाज़ियाबाद |
कातिल ना कहूँगा तुझे
पलकों को बंद रखना
साहिल पर चलने वालो
लहरो की खबर रखना
मनचले है बहुत राह में
मंसूबो की परख रखना
धर्म के पाखंडियों से
धर्म की लाज रखना
जज्बातों की कद्र नहीं
खुद को दबा के रखना
चीर कर अंधेरों को प्रेम
हौसलों को बुलंद रखना
मानवता की आड़ में उन
दलालों की खबर रखना
तानाशाही का है युग ये
एय्यारो की परख रखना
जारी रखनी है गर लड़ाई
कलम की धार तेज रखना
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