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जानिए ‘ जौ ‘खाने के फ़ायदे - डॉ निरुपमा वर्मा

Monday, December 14, 2020

/ by Dr Pradeep Dwivedi


डॉ निरुपमा वर्मा, छत्तीसगढ़

यदि परेशान है ‘ पथरी ‘ से ….तो शामिल करिए ‘ जौ ..को अपने भोजन में। आइए मित्रों ! आज मेरे साथ भोजन में खाएँ - जौ की रोटी 

जी ,चौंकिए नहीं । आप कह सकते है कि बाजरा और मक्के की रोटी तो खाई जाती है ,किंतु जौ की रोटी ??

आगे बढ़ने से पूर्व ये स्पष्ट कर देती हूँ कि , ज्वार और जौ में अन्तर है । 

भारत में प्राचीन काल से ही ‘जौ अनाज का प्रयोग धार्मिक संस्कारों में होता रहा है। संस्कृत में नोकदार जौ कान“यव” कहा जाता है , बिना नोक के काले तथा लालिमा लिए हुए जौ को  ‘अतयव ‘ एवं हरापन लिए हुए नोकरहित बारीक जौ को ‘ तोक्ययव ‘ कहते हैं ।यव की अपेक्षा अतियव और अतियव की अपेक्षा तोक्ययव कम गुणकारी माना जाता है ।नवरात्रि में जौ बोने की परम्परा आज भी है । 


जौ सबसे पुरानी संस्कृतियों में से एक है । प्राचीन कोरिया और मिस्र में भी जाना जाता था, जहां अनाज को आटा और दलिया बनाया गया था। बाइबल भी इस अनाज की बात करती है, । जौ यानी बार्ली (Barley) एक पौधा है। इन अनाज के दाने का इस्तेमाल दवा बनाने के लिए किया जाता है । इस का इस्तेमाल बीयर बनाने में भी किया जाता है।

भारत के साथ-साथ रूस, यूक्रेन, अमेरिका, जर्मनी और कनाडा में भी मुख्य रूप से इसकी खेती की जाती है। साथ ही, इस अनाज का इस्तेमाल लोग दवा बनाने के लिए भी करते हैं।

जौ का आटा रंग में भूरा-सफेद है। इसमें स्वयं का कोई स्वाद और गंध नहीं है, लेकिन तैयार उत्पाद फाइबर की बड़ी मात्रा के कारण एक विशिष्ट टार्ट स्वाद देता है। 

इसमें  फाइबर, विटामिन और खनिजों से समृद्ध संपूर्ण अनाज है ।

इस आनाज का सेवन लो ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल और लिपोप्रोटिन के स्त्र्व्को कम करने के साथ-साथ वजन घटाने, दस्त की समस्या, पेट दर्द, और आंत संबंधित परेशानियों के उपचार के लिए भी किया जाता है। यह पेट की सूजन कम करने के साथ ही पाचन से जुड़ी अन्य परेशानियों  के उपचार में भी लाभकारी होता है। कुछ लोग फोड़े के इलाज के लिए इस अनाज के पेस्ट को सीधे त्वचा पर लगाते हैं। जिन महिलाओं को गर्भपात होता है ,उनके लिए अत्यंत लाभकारी है । अस्थमा और अन्य श्वसन समस्यायों में लाभ करी है ।

अगर आपको यूरीन से जुड़ी कोई समस्या है तो जौ का पानी आपके लिए बहुत फायदेमंद होगा. इसके अलावा किडनी से जुड़ी तथा यूरिन से जुड़ी  ज्यादातर समस्याओं में जौ का पानी बहुत कारगर होता है.। जौ को गुर्दे की पथरी रोकनीर गुर्दे को साफ़ करने के लिए भी जाना जाता है ।

ये पथरी को निकालने में भी सहायक है ।….

( ये मैं स्वयं अपने अनुभव से बात रही हूं । )

इसके लिए जौ का पानी बनाने की विधि बता रही हूँ …...


जौ का पानी ( barle water) बनाने की विधि -

इसके लिए आप कुछ मात्रा में जौ ले लीजिए और उसे अच्छी तरह साफ कर लीजिए उसके बाद इसे करीब चार घंटे तक पानी में भिगोकर छोड़ दीजिए। फिर इस पानी को तीन से चार कप पानी में मिलाकर धीमी आंच में कम से कम 45 मिनट तक उबाले। इसके बाद गैस बंद कर दें और इसे ठंडा होने दे। जब यह ठंडा हो जाएं तो इसे एक बोतल में भरकर इसके पानी को दिन में तीन बार पिएँ । ये प्रतिदिन लें , दिन में तीन बार यदि नहीं लेना चाहते तो कम से कम दो बार अवश्य लें ।

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