निखिलेश मिश्रा, लखनऊ
दोस्तों मैं नेवला, विष खापर, सांपो तथा उनके प्रकारों जैसे उनके जहर(हीमिटोक्सिक, न्यूरोटॉक्सिक), उनकी पहचान, उनकी खासियत और उनसे बचाव के बाबत कई पोस्ट लिख चुका हूँ जिनमे करैत(कॉमन, बैंडेड), कोबरा(स्पेक्टिकल, मोनोकोल, किंग कोबरा), रसल वाइपर, पिट्स वाइपर, धामन(घोड़ा पछाड़),दो मुंहा(सैंड बोआ) इत्यादि हैं। इसी कड़ी में आज उड़ने वाले साँप का चित्र साझा कर रहा हूँ जिसे मैं तत्समय साझा नही कर पाया था।
ये उड़ने वाला सांप है लेकिन सच्चाई यह है कि यह उड़ता नही है बल्कि फुर्तीला ज्यादा होने से एक डाल से दूसरी डाल पर छलांग लगता है। इसके लिए हवा में वह अपना शरीर एरोडायनमिक रूप से फुलाता पिचकाता है। पर्याप्त जानकारी के अभाव में लोग इसे उड़ने वाला सांप समझ लेते हैं।
याद होगा धामन भी फुर्तीला होता है। पूंछ पकड़ ली जाए तो गोल गोल घूमना शुरू कर देता है। असावधानी बरती तो सीधा मुंह नोच खाता है। जहरीला नही होता लेकिन इंफेक्शन तो दे ही सकता है।
उड़न साँप क्रिसोपिली (Chrysopelea) जीनस के साँप हैं जो बहुत कम विषैले होते हैं और मनुष्यों के लिए हानिरहित है। ये दक्षिण-पूर्वी एशिया, दक्षिणी चीन, भारत और श्रीलंका में पाए जाते हैं। भारत में ये मध्य भारत, बिहार, उड़ीसा और बंगाल में अधिक पाए जाते हैं।
यह बहुत तीव्र गति से चलने की क्षमता रखता है जो इसकी विशिष्टता है। यह अपने शरीर को फुलाकर तथा शरीर को एक विशेष आकार देकर एक डाल से दूसरी डाल पर ग्लाइड कर जाता (कूद जाता) है। इसीलिए इसे 'उड़न साँप' का भ्रामक नाम दिया गया है। यह इस तरह कूदता चलता है मानो उड़ रहा हो।
इनका रंग ऊपर से हल्का पीलापन लिए हुए हरा होता है। नियमित दूरियों पर काले रंग की आड़ी पट्टियाँ रहती हैं जो काले सीमांतोंवाले शल्कों के कारण बनी होती हैं। अधरशल्क हरे होते हैं। सिर काला होता है जिसपर साथ साथ पीले या हल्के हरे रंग को आड़ी पट्टियाँ तथा कुछ धब्बे होते हैं।
यह साँप छिपकलियों, छोटे स्तनियों, पक्षियों, छोटे साँपों और कीटों को खाता है। यह घरों के आस पास भी कभी कभी दिखाई देता है। यह अंडप्रजक है। यह कभी कभी पेड़ की शाखाओं से लटका भी देखा गया है।
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