हरिकेश यादव-संवाददाता (इंडेविन टाइम्स)
अमेठी।
० लोग अब पैदल जाते हैं बाजार
० 40 वर्ष से अमेठी नगर पालिका परिषद् के लिए प्रयासरत
शहर में राहगीर अब तमाशा बन चुके हैं। रोड पर वाहन वह भी ओवर लोड है। आखिर पटरी पर मोटर साइकिल या दुकान के शो रूम सजे हैं। यातायात पुलिस गांधी चौक पर तैनात है। सड़क मार्ग पर होम गार्ड सीटी बजा रहे हैं कि किसकी गाड़ी हैं। ट्रैफिक पुलिस को फोन मिलाते हैं कि बाईक खडी है कोई जिम्मेदार नहीं है। ट्रैफिक पुलिस आयीं, छोडो किसी की होगी। गंगागंज का रोड बाईपास बन गया। भीड़ अधिकांश बाईक और लोडिंग मैजिक इसी से पार हो रही है,नहीं तो जनाब के घर तक जाम लग जाता। चेयरमैन को जाम से परेशान हो जाना पड़ता। थाना कोतवाली अमेठी के सामने वाली रोड पर जाने वाले अपने वाहन का ठिकाना बना लेते हैं।
शहर में सहालग का असर दिख रहा है। कपड़े की दुकान, जूते की दुकान, बर्तन की दुकान, कॉस्मेटिक की दुकान, सब्जी की दुकान, पेट्रोल पंप पर भीड़ का आलम है। इस भीड़ ने दुकान पर समान नहीं छोड़ा अब नापसंद समानो पर ही सहालग दौडने को मजबूर हैं। शहर का ट्रैक्सी स्टैण्ड बस स्टेशन से सटा सडकों के किनारे है। वह जाम बढ़ाने में अपनी अहम भूमिका निभाता है।फिर भी प्रसाशन इस पर ध्यान नहीं देता । पुलिस, आर टी ओ के टी आई, सीओ, नगर पंचायत के आमदनी का टोकन है। अभी स्कूल पूरी तरह चल नहीं रहे हैं और रेल भी आराम फरमा रही है। ककवा रोड पर अभी अतिक्रमण हटाने में तकलीफें जरूर हो रहीं हैं। जाम नहीं होगा तो मच्छर से प्रशासन परेशान होता। कितनों की रोजी-रोटी जाम में रुक सी गई हैं। नेता,कथित समाजसेवी इस जाम पर मुंह खोलने को राजी नहीं है। जहाँ तक जाम है वहाँ तक बस्ती को नगरपालिका में शामिल करने की कवायद शुरू हैं। चालीस साल पहले से नगर पालिका परिषद् का प्रस्ताव अपनी जगह पर रेग रहा है आगे नही बढ़ रहा है। जबकि गौरीगंज एक झटके में अमेठी से एक कदम बढ कर नगर पालिका बन गई। जाम की समस्या से कराहती जनता को कैसे निजात मिलेगी यह लोगों के सामने यक्ष प्रश्न जैसा है जिसका समाधान भविष्य के गर्त में क्षिपा है।
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