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प्रीति त्रिपाठी नई दिल्ली |
इस शीत में सहला रही इक गुनुगुनी सी धूप है
अभिसार के सौंदर्य से सज्जित सुनहरा रूप है ।
मधुमास जीवन कर दिया
तुम प्रेम हो,विश्वास हो
तुम रास हो,सौभाग्य हो
मेरा वृहद आकाश हो
तुम पर मेरा अधिकार है,उस गर्व सी ये धूप है
अभिसार के सौंदर्य से सज्जित सुनहरा रूप है ।
मनुहार भी ,तकरार भी
सिंदूर भी,श्रृंगार भी
यूँ हार करके जीतना
सिखला दिया है प्यार भी
जीवन-सुधा से सींचती ,सम्मान की ये धूप है
अभिसार के सौंदर्य से सज्जित सुनहरा रूप है
इस शीत में सहला रही इक गुनगुनी सी धूप है ।।
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