लखनऊ
उत्तर प्रदेश के पशुधन विभाग में ठेका दिलाने के नाम पर फर्जीवाड़ा करने के आरोपी फरार IPS अरविंद सेन ने आज लखनऊ के भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट में सरेंडर किया। जहां से उन्हें 9 फरवरी तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। सेन 31 जनवरी को रिटायर हो रहे हैं।
उन पर 50 हजार रुपए का इनाम भी घोषित है। उन्हें निलंबित किया जा चुका है। पुलिस ने उनके लखनऊ व पैतृक आवास अयोध्या में डुगडुगी पिटवाकर फरार घोषित कर चुकी है। गिरफ्तारी के डर से उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की थी। जिसे सोमवार को खारिज कर दिया गया है।
कोर्ट ने कहा- यह नहीं कहा जा सकता कि कोई साक्ष्य नहीं
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में जस्टिस आलोक माथुर की एकल पीठ ने सोमवार को पशुधन घोटाला मामले की सुनवाई की थी। कहा था कि पूरे मामले को देखने के बाद यह नहीं कहा जा सकता कि याची के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं है। अपर महाधिवक्ता वीके शाही ने याचिका का विरोध करते हुए तर्क दिया कि जांच के दौरान यह बात सामने आई कि याची (अरविंद सेन) मुख्य अभियुक्त आशीष राय के साथ सक्रिय रूप से सम्मिलित था।
उसने खुद को CBCID का अधिकारी बताकर पीड़ित मंजीत भाटिया से मुलाकात की थी। उसे 35 लाख रुपए भी मिले थे। यही नहीं 10 लाख रुपये तो याची ने अपने बैंक खाते में मंगाए थे।याची वरिष्ठ पुलिस अधिकारी है व पहले भी जांच को प्रभावित करने की कोशिश कर चुका है।
यह है पूरा मामला
13 जून, 2020 को इस मामले की FIR इंदौर के एक व्यापारी मंजीत सिंह भाटिया उर्फ रिन्कू ने थाना हजरतंगज में दर्ज कराई थी। इस मामले में मोंटी गुर्जर, आशीष राय व उमेश मिश्रा समेत 13 अभियुक्तों को नामजद किया गया था। विवेचना में IPS अधिकारी अरविंद सेन का नाम भी प्रकाश में आया। अभियुक्तों पर झूठे दस्तावेजों व फर्जी नाम से गेहूं, आटा, शक्कर व दाल आदि की सप्लाई का ठेका दिलवाने के नाम पर 9 करोड़ 72 लाख 12 हजार रुपए की ठगी का आरोप है।