इंडेविन न्यूज़ नेटवर्क/इंडेविन टाइम्स
- कंपनी के पैक्ड फ़ूड में घूम रही जिन्दा मक्खियाँ, कीड़े, डिब्बों में मकड़ जालों का अम्बार
- कंपनी के खिलाफ एफआईआर और एफएसएसआई को शिकायत जल्द
- कंपनी के प्रोडक्शन पर जल्द लगेगा ताला
- सामजिक संस्थाएं, एनजीओ और विधि सलाहकार भी इस मामले में सक्रिय
- उच्च अधिकारियों और सम्बंधित मंत्रियों को इस विषय में ज्ञापन जल्द
पूरा मामला लखनऊ का है जिसमे प्रिंस सिंह मथारू नाम के व्यक्ति ने लखनऊ की एलडीए मार्किट से शदानी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के उत्पाद 'खट्टा मीठा आम' के 120 ग्राम के 3 डिब्बे खरीदे। खरीद कर जब वह घर लाये तो उनकी नज़र पैक्ड डिब्बे के अंदर घूम रहे कीड़े मकौड़े, मक्खियों और मकड़जालों पर गयी। मक्खियों के साथ खाद्य पदार्थ को डिब्बे के अंदर जालों ने घेर रखा है। प्रोडक्ट पर लिखी जानकारी के अनुसार प्रोडक्ट का बैच नंबर IS2420 है जो कि सितम्बर 2020 को पैक किया गया है। प्रोडक्ट की वैधता 1 साल लिखी गयी है।
पता होना चाहिए कि दिल्ली के मालवीय नगर में 2 फर्म पंजीकृत हैं। पहली शदानी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड जो कि 10 अक्टूबर 2016 को रजिस्टर की गयी थी, जिसका CIN No. U74999DL2016PTC307017 है, जो कि इस प्रोडक्ट को पैक और मार्केटिंग करती है, ज्योत्सना यादव व अनिल कुमार इस कंपनी के डायरेक्टर हैं। दूसरी फर्म शाहेन शाह इंडिया, जो इस प्रोडक्ट को मनुफैक्चर करती है जिसके प्रोप्राइटर अनिल अस्वनी हैं। इनकी फर्म का एफएसएसआई लाइसेंस नंबर 13315008000047 है।
जब प्रिंस सिंह मथारू ने कंपनी की वेबसाइट www.shadanigroup.com व कस्टमर केयर नंबर 9310744140 पर संपर्क किया और समस्या के बारे में अवगत कराया तो वहां से कोई भी सही रेस्पॉन्स नहीं मिला। कंपनी के कर्मचारियों द्वारा प्रिंस सिंह मथारू को बदले में 3 डिब्बे भेजे गए जिसे प्रिंस सिंह मथारू ने अस्वीकार कर दिया। क्यूंकि प्रिंस सिंह मथारू का कहना है कि ऐसी कंपनियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही होनी चाहिए जो दूसरी कंपनियों के लिए नज़ीर बने। नही तो ऐसी लापरवाह कंपनियों की वजह से लाखों लोग बीमार पड़ते हैं, स्वास्थ्यहानि, जनहानि और धनहानि होती है। ये कंपनियां तो सिर्फ पैसा बनाने में लगी हुई हैं। इनको कस्टमर के स्वास्थ्य से क्या लेना देना। पैसा बनाने के चक्कर में यह लोग साफ़ सफाई और क्वालिटी के साथ खिलवाड़ करते हैं।
प्रिंस सिंह मथारू की शिकायत पर कंपनी का कोई भी उच्च अधिकारी बात करने को राज़ी नहीं है। कंपनी 1 गरीब कर्मचारी को 1 महीने के लिए सस्पेंड कर इस मामले से पल्ला झाड़ रही है। जबकि इस समस्या के जिम्मेदार कंपनी के डायरेक्टर और क्वालिटी कण्ट्रोल टीम है, जो इस मामले में अपनी बात रखने से बच रहे हैं।
क्या कहना है एफएसएसआई के जॉइंट डायरेक्टर बी एस आचार्य का - इस मामले को लेकर एफएसएसआई के जॉइंट डायरेक्टर बी एस आचार्य को संपर्क किया गया, पर अभी तक उनसे बात नहीं हो पा रही है। जल्द ही शिकायत पत्र और दूरभाष के माध्यम से उनको जानकारी पहुंचाई जाएगी, आगे देखना होगा कि एफएसएसआई के जॉइंट डायरेक्टर बी एस आचार्य इस मामले में क्या एक्शन लेते हैं।
क्या कहना है प्रिंस सिंह मथारू का - यह एक गंभीर मामला है रोज हज़ारों मामले ऐसे होते हैं जिसमे 99 प्रतिशत लोग किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं करते, जिसकी वजह से इस तरीके से कंपनी लोगों को गन्दगी बेंचकर फलती फूलती रहती हैं। लेकिन मैं इस मामले में हर प्रकार की कानूनी कार्यवाही करूँगा चाहे एफएसएसआई जाना पड़े या कोर्ट।
क्या कहना है हाईकोर्ट के वकील एस आर यादव का - इस मामले में कानूनी कार्यवाही बहुत जरूरी है, कस्टमर को न्यायलय में कंपनी के खिलफ जल्द से जल्द केस दर्ज करवा देना चाहिए। एफएसएसआई और सभी नियामक इकाइयों को फैक्ट्री की पुख्ता जांच कर कंपनी के प्रमोटर के खिलाफ सख्त से सख्त एक्शन लेकर लाइसेंस रद्द कर देना चाहिए। साथ ही कंपनी का प्रोडक्शन बंद कर सदा के लिए ताला लगा देना चाहिए, जब तक कोर्ट से प्रोडक्शन की पुनः अनुमति न मिले ।
क्या कहना है एनजीओ वर्कर निहारिका सिंह का - फ़ूड प्रोडक्शन में क्वालिटी कण्ट्रोल, साफ़ सफाई और सेफ्टी बहुत जरूरी है। कमपनी की इस गलती को छोटा नहीं आँका जा सकता है। आज उसमे जिन्दा मक्खी, जाला, कीड़े निकले है, कल जिन्दा बिच्छू निकल सकता है। कभी धोखे से फिनायल या जहरीला पदार्थ मिक्स हो सकता है। यह घोर लापरवाही है कंपनी पर ताला लगना चाहिए। जल्द ही कंपनी के खिलफ धरना प्रदर्शन कर विधानसभा और संसद में बैठे माननीयों को ज्ञापन सौंपा जाएगा।