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स्वास्थ्य सेवाओं के राष्ट्रीयकरण की फिलहाल कोई योजना नहीं: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन

Tuesday, February 9, 2021

/ by Indevin Times

नई दिल्ली। 

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि स्वास्थ्य सेवाओं के राष्ट्रीयकरण की केंद्र सरकार की फिलहाल कोई योजना नहीं है। साथ ही उन्होंने स्वास्थ्य को समवर्ती सूची में डालने की योजना से भी इनकार किया। राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान कुछ सदस्यों ने कोविड-19 महामारी के दौरान स्वास्थ्य के मद्देनजर जारी किए गए देशव्यापी दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए इस संबंध में सवाल पूछे थे। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की सदस्य झरना दास वैद्य द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं का राष्ट्रीयकरण किए जाने की योजना संबंधी सवाल पर हर्षवर्धन ने कहा कि इसका प्रश्न ही नहीं उठता। उन्होंने कहा, ‘‘पहली बात यह है कि स्वास्थ्य राज्य का विषय है। हमारे संविधान में नियम बने हैं, हर चीज के बारे में हमारे नियम हैं। कोविड के समय भारत सरकार ने 10 दिनों के अंदर विस्तृत दिशा-निर्देश राज्यों के लिए जारी किया। हमने साल भर में सहायता के तंत्र विकसित किए।’’ उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के दौरान सब लोगों ने मिल-जुलकर काम किया और केवल सरकारी ही नहीं निजी क्षेत्रों में उपचार संबंधी सुविधाओं ओर प्रयोगशालाओं को विकसित करने के लिए राज्यों को जोड़ा। उन्होंने कहा, ‘‘हमने राष्ट्रीयकरण के बारे में इसलिए 'कोई प्रश्न नहीं उठता' कहा, क्योंकि जब सब लोग मिलकर, जो व्यवस्था है, उसके अंदर सफलतापूवर्क काम कर रहे हैं तो फिर कोई नई वैकल्पिक व्यवस्था के बारे में सोचने का प्रश्न नहीं उठता।’’ हर्षवर्धन ने कहा कि कोविड-19 के दौरान सभी राज्य सरकारों और भारत सरकार ने मिलकर उसे नियंत्रित करने का काम किया। उन्होंने कहा, ‘‘आज हमारी जो भी स्थिति है...हम एक प्रकार से सफलता के नजदीक पहुंच रहे हैं...यह सब लोगों के साथ मिलकर काम करने के कारण ही संभव हुआ है।’’ क्या सरकार स्वास्थ्य को समवर्ती सूची में डालने पर विचार कर रही है, इस प्रश्न के उत्तर में हर्षवर्धन ने कहा, ‘‘सरकार की आज की तारीख में ऐसी कोई योजना नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि वर्तमान व्यवस्था ‘‘काफी सुचारू रूप’’ से चल रही है और इसी को और ज्यादा अच्छी तरह से ‘‘मजबूत’’ करने की आवश्यकता है। स्वास्थ्य सेवाओं को संसद में कानून बनाकर मौलिक अधिकार बनाए जाने के सवाल पर हर्षवर्धन ने कहा, ‘‘इस संदर्भ में कानून बनाकर संसद में प्रस्तुत करने की फिलहाल कोई योजना नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि ‘‘जीवन का अधिकार’’ में ही अच्छी गुणवत्ता के स्वास्थ्य का अधिकार, अच्छी गुणवत्ता की शिक्षा का अधिकार, सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अधिकार समाहित है।

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