![]() |
चंद्र किरण शर्मा भाटापारा |
लाल गुलाबी और परागी।
भाये देखो मन अनुरागी।
झूमे नाचे सब तालों पर ।
छाई मस्ती मत वालों पर।
लेकर प्यार अनोखा ये
नव बसंत सी आई है ।।
आओ हृदय प्रीत रंगो तुम।
मन भायी होली आई है।
सजी टेसुओं की टोली है।
आंखों सरसों सी पीली है ।
रंगों से सब मन रंगे हैं ।
झूमे सारे हमजोली हैं ।
देख धरा भी नाच रही है।
नवल प्रभाती भी लाई है।
फागुन छेड़े है जो सरगम ।
भूले सारे है जो हर गम ।
पिचकारी में रंग प्रीत का ।
नफरत भी मिट जाए हर दम।
आओ मिलकर खेले होली।
सुमन सुमन भी मुस्काई है ।