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विरोधी को शांत रहकर आसानी से जीत सकते हैं

Friday, March 26, 2021

/ by Dr Pradeep Dwivedi

इंडेविन न्यूज नेटवर्क


 पुराने समय में एक संत बहुत शांत स्वभाव के थे। वे अपने ज्ञान और शांत स्वभाव की वजह से दूर-दूर तक प्रसिद्ध थे। काफी लोग उनके प्रवचन सुनने आश्रम पहुंचते थे।

संत के भक्तों की संख्या काफी अधिक थी, लेकिन कुछ लोग संत को अपना शत्रु भी मानते थे। संत के विरोधी इसी अवसर की प्रतीक्षा में रहते थे कि किसी भी तरह इस संत को अपमानित किया जाए।

एक दिन संत उपदेश दे रहे थे। उन्हें सुनने काफी लोग वहां बैठे थे। दोपहर का समय था, तभी वहां संत का एक विरोधी पहुंच गया। विरोधी ने कहा कि तुम पाखंडी हो। भोले-भाले लोगों को भ्रमित कर रहे हो। संत ने अपना उपदेश बंद किया और शांति से उसकी बात सुन रहे थे।

संत को शांत देखकर विरोधी का गुस्सा और बढ़ गया। वह गालियां देने लगा। अपमानित करने लगा, लेकिन संत शांत थे। वहां मौजूद लोग सोच रहे थे कि अब संत क्या प्रतिक्रिया देंगे, कैसे इस विरोधी से निपटेंगे?

दोपहर से शाम हो गई, लेकिन विरोधी का गुस्सा शांत नहीं हुआ। सभी भक्त भी बैठे हुए थे और संत भी उसकी बातें सुन रहे थे। जब अंधेरा होने लगा तो उस विरोधी का गुस्सा थोड़ा शांत हुआ। बोलते-बोलते वह बहुत थक गया था। जब वह जाने लगा तो संत ने अपने एक शिष्य से कहा कि लालटेन लेकर इन महाशय के साथ जाओ, और इन्हें घर तक छोड़ आना। रास्ते में अंधेरे की वजह से इन्हीं कहीं चोट न लग जाए, इस बात का ध्यान रखना।

ये बात सुनते ही संत का विरोधी हैरान था। उसे समझ आ गया कि ये संत बहुत नेक इंसान हैं। उसने तुरंत ही संत से अपने किए की क्षमा मांगी और वह भी उनका भक्त बन गया।

कथा की सीख - विरोधियों को जीतने का सबसे अच्छा उपाय यही है कि उनके सामने शांत रहा जाए। उनकी बातों का जवाब शांति से देंगे तो विरोधियों को अपनी गलती का अहसास जरूर होगा।


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