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बड़ी तेज थी रफ्तार ए जिंदगानी - मीरा खेमानी

Friday, March 26, 2021

/ by Dr Pradeep Dwivedi

 

मीरा खेमानी
A E-387, सॉल्ट लेक,
कोलकाता 64, सेक्टर 1



बीत गया बचपन बीती जवानी

बड़ी तेज थी रफ्तार ए जिंदगानी

अभी खत्म नहीं हुई जिंदगी

असल में तो शुरू हो रही जिंदगानी

उम्र के निशा तो लाजमी है

पर दिल तो अभी भी वही है

हाजमा थोड़ा बिगड़ने लगा है

मगर स्वाद कम नहीं बल्कि बढ़ने लगा है

आंखों से दिखता  धुंधला भले ही

उम्मीदें और सपने वही है

माना कि दौड़कर छू नहीं सकते मंजिलों को

लक्ष्य को पाने का हौसला वही है

उम्र तो सारी निकली कमाने में

खर्च करने का मजा तो अभी है

बहुत बीती थोड़ी है बाकी

अब न जाने देंगे इसे यूं ही

अपने सपनों को जीने की

उम्र तो यही है

जिंदगी जितनी हसीन कल थी

उतनी हसीन आज भी है

देखने वालों की नजर बदल ग ई

हम तो जैसे कल थे

आज भी वही है

उम्र के निशा तो लाजमी है.......

पर दिल आज भी वही है।

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