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शदानी कम्पनी दिल्ली के मालिकों की दबंगई के सामने ध्वस्त होता दिखायी दे रहा सरकारी तंत्र

संवाददाता- (इंडेविन न्यूज नेटवर्क)

लखनऊ। 

गत दिनों इंडेविन टाइम्स ने ‘घोर लापरवाहीः जिन्दा कीड़े-मकौड़ों के साथ आनन्द लीजिये शदानी इंडिया के प्रोडक्ट खट्टा मीठा आम का’ के शीर्षक से प्रकाशित की गयी थी। खबर प्रकाशित होने के बावजूद शदानी के अधिकारियों व कर्मचारियों की दबंगयी चरम पर है। शदानी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा बनाये जा रहे खाद्य पदार्थों में एफएसएसआई के नियमो और मानकों का पूरी तरह से उलंघन किया। आज कम्पनियाँ एफएसएसआई का 100 - 200 रुपये की फीस देकर लाइसेंस तो ले लेती हैं लेकिन मानकों का पालन नहीं करती, जिसकी वजह से फूड पोइजनिंग से मरने वालों की संख्या हर साल हजारों में है। एफएसएसआई संस्था के अधिकारी भी रुपये के खेल में सब नजरअंदाज करते रहते हैं। जबकि ऐसी कंपनियों के खिलाफ जांच कर सख्त से सख्त कार्यवाही, जुर्माने व जेल भेजने के साथ सदा के लिए एफएसएसआई लाइसेंस निरस्त कर कंपनी के प्रोडक्शन पर ताला लगा देना चाहिए।

अभी तक किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की गयी है

खबर प्रकाशन व शिकायती पत्र देने के बावजूद शदानी इंडिया कम्पनी के अधिकारियों व कर्मचारियों के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही। दबंगयी के लहजे में वे कहते हैं कि आप लोगों को जो करना है कर लो। हमें कोई फर्क नहीं पड़ता। इतना सब होने के बावजूद इस प्रकरण पर कोई कार्यवाही नहीं हुयी। जिसके कारण इन लोगों के हौंसले बुलन्द हैं। 

इस मामले को गम्भीरतापूर्वक नहीं लिया जा रहा है

इस प्रकरण को गम्भीरता से नहीं लिया गया। जिसके कारण शदानी इंडिया कम्पनी के अधिकारी व कर्मचारी कहते हैं कि हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। अधिकारियों व कर्मचारियों से जब इस प्रकरण पर बात की गयी तो पता चला कि वे इस प्रकरण को गम्भीरता से नहीं ले रहे हैं।  

जानबूझकर लोगों की सेहत के साथ किया जा रहा है खिलवाड़

लापरवाही का नतीजा यह है कि शदानी इंडिया कम्पनी के खाद्य पदार्थ से यदि किसी की तबियत खराब हो जाये या किसी की जान चली गयी तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? यहां के अधिकारी व कर्मचारी इस प्रकरण से पल्ला झाड़ रहे हैं। उनका कहना है कि हमें पता है हमें क्या करना है, आप हमें न बताइये। खाद्य पदार्थों को बच्चों से लेकर बजुर्ग तक खाते हैं। खाद्य पदार्थ खराब होने के कारण इनकी सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है। 

कम्पनी के कर्मचारी ने स्वयं यह बात कबूल की कि लाकडाउन के दौरान खराब माल को नई  पैकिंग कर बाजार में भेजा गया

शदानी इंडिया कम्पनी के कर्मचारी बताते हैं कि लाॅकडाउन के दौरान माल खराब हो गया था। इस खराब माल की नई पैकिंग कर बाजार में भेज दिया गया। यदि इसी प्रकार से अन्य कम्पनियां भी करने लग गयी तब तो लोगों की सेहत भगवान भरोसे हो जायेगी। 

प्रिंस सिंह मथारू के नोटिस दिये जाने के बावजूद भी कोई असर नहीं हुआ है

इस प्रकरण को देखते हुये प्रिंस सिंह मथारू ने नोटिस भेजा। लेकिन इस नोटिस का यहां के अधिकारियों व कर्मचारियों पर कोई असर नहीं हुआ। शदानी इंडिया कम्पनी के अधिकारियों का कहना है कि इस प्रकार की नोटिस अक्सर आती रहती हैं। आप चाहो तो दो-चार नोटिस और भेज दो। इसका सीधा मतलब यह है कि कम्पनी के मालिक भारत की संवैधानिक व्यवस्था और न्याययिक व्यवस्था की धज्जियां उड़ते दिखायी पड़ रहे है, इन्हें कानून का कोई भय नहीं है। 

एफएसएसआई ने अभी तक कोई दण्डात्मक कार्यवाही नहीं की है

इस मामले में एफएसएसआई ने कोई कार्यवाही नहीं की। कार्यवाही न होने की वजह से यहां के अधिकारी व कर्मचारी सीधे मूंह बात नहीं करते। उनका सीधा यह कहना है कि ऐसे अधिकारियों को हम अपनी जेब में रखते हैं। 

यदि किसी की जान चली गयी होती तो इसका जिम्मेदार कौन होता

इन खराब खाद्य पदार्थों के खाने से यदि किसी की तबियत खराब हो जाये या किसी की जान चली जाये तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? जैसा कि शदानी इंडिया कम्पनी के कर्मचारियों ने बताया कि खराब माल बाजार में भेज दिया गया। इसकी जांच यहां के अधिकारियों ने नहीं की। प्रकरण को गम्भीरता से न लिया जाना यह दिखा रहा है कि लोगों की जान भगवान भरोसे है। सूत्रों के अनुसार कयी ऐसे मामले आये हैं, लेकिन कम्पनी के मालिकों की दबंगयी व सरकारी विभागों के साथ गठजोड़ के कारण मामलों को दबा दिया गया।


 

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