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चार बाग आर पी एफ मे तैनात इंस्पेक्टर राजेश कुमार के गुड वर्क की क्या है सच्चाई

Friday, March 19, 2021

/ by Dr Pradeep Dwivedi

इंडेविन न्यूज नेटवर्क

लखनऊ


राजधानी लखनऊ में अपराधिक मामले लगातार बढ़ती हुई नजर आ रही है ये बात शायद शासन-प्रशासन से लेकर आम आदमी को पता है। पुलिस अपराधियो को पकड़ती भी है लूटपाट चोरी का माल भी बरामद करती है युं कहा जाये गुड वर्क दिखा कर वाहवाही भी लूटती है तो शायद गलत नही होगा। पर चोरी,लूटपाट,गांजा,स्मैक,अवैध शराब,अवैध असलहा,छेड़छाड़ रेप,देह व्यापार,जैसे जघन्य अपराध होते रहते हैं अब सोचने वाली बात ये है कि जब पुलिस इन अपराधियो को पकड़ती है जेल भेजती है तो फिर चार दिन बाद वही अपराधिक घटनाये कैसे होने लगते हैं।

इसका मतलब पुलिस कहीं न कहीं चूक जरूर करती है सरकार तथा अधिकारियो को जवाब देने के लिए चोरी ,लूटपाट, तस्कर,करने वाले गिरोह के छोटे मोटे लोगो को पकड़ कर थाने लाकर मार पीट कर कुछ निर्दोष का नाम उगलवा कर उन्हे भी फंसा कर मुकदमा दर्ज करके जेल भेज देती है जिससे वो निर्दोष जेल से बाहर आने के बाद क्राइम करने लगता है और जो सरगना होता है वो साफ साफ बच कर और मासूम को धंधे में ढकेल कर अपराधिक कार्य करवाता रहता है।

आपको बता दें अभी हाल ही में लखनऊ के चारबाग आर पीएफ को मुखबिर से सूचना मिलती है कि रेलवे की चोरी हुई बैट्री पथरकट्टा पर एक दुकान पर भारी संख्या में उपलब्ध है।

मुखबिर के सूचना पर आर पीएफ के जवान उस दुकान पर दबिश देते हैं और दुकानदार उमाशंकर वर्मा को 15अदद रेलवे की चोरी बैट्री तथा नगद कैस के साथ गिरफ्तार करते हैं।

पूछताछ करने पर दुकानदार जिस जिस का नाम बताता है उसको पकड़ कर थाने लाते हैं जिसमे एक गरीब परिवार का लड़का भी शामिल होता है जिसका नाम है रवि जो एक मैकेनिक के दुकान पर एक हजार रूपये महीना काम करता है मां दुसरो के घर में झाड़ू पोछे का काम करके अपनी जीविका चालती है।

रवि के मां का आरोप है कि हमारा बेटा काम से आया रात को खाना पानी ख पीके सो गया सुबह पांच बजे आर पी एफ वाले आये और हमारे बेटे को उठाकर थाने पहुंच गये जब हमने अपने बेटे की कसूर जानने के लिए चार बाग आर पी एफ थाने पंहुची तो पता चला कि रेलवे बैट्री के चोरी के आरोप मे लाया गया है।

जब हमने अपने बेटे को निर्दोष बताने लगी तो हमसे गाली-गलौज की गई तथा अभद्र व्यवहार किया गया तथा हमसे कहा गया कि यदि तुम अपने बेटे को छुड़ाना चाहती हो तो बीस हजार रुपए लेकर आ जाओ।

रवि के मां का ये भी कहना है कि हम मजदूरी मेहनत करके रोज कमाने खाने वाले लोग हैं हम बीस हजार रुपए कहां से लाते कोई हमे कर्ज भी नही देगा।

इस लिये मेरे बेटे को जेल भेज दिया गया रवि की मां ये भी कहती है कि लगभग दस लोगो को आर पी एफ वालो ने पकड़ा था लेकिन मुकदमा दर्ज चार पर ही हुआ है बाकी सभी 6 को पैसे लेकर छोड़ दिया गया है।

रवि के मां का आरोप है या फिर सच्चाई यह जानने के लिए पत्रकार ने जब आर पी एफ इंस्पेक्टर से जानकारी करनी चाही तो राजेश कुमार साहब झल्लाकर फोन काट दिए।

जब किसी और ने फोन किया तो धमकी भरे लाहाजे मे पत्रकार को दलाल अनपढ़ होने का आरोप लगाकर कर मुकदमा दर्ज करने की बात कहकर चूतिया जैसे अपशब्द भाषा का प्रयोग करके तथा दैनिक जागरण, अमर उजाला, जी न्यूज, आज तक का हवाला देकर फोन काट दिया अब जरा सोचिए कि लगता है संविधान राजेश कुमार के ही मुताबिक लिखा गया है जिस पर चाहेगे मुकदमा दर्ज कर देगें जिनको चाहेंगे अनपढ़ गंवार बोल देंगे।

अब इन साहब की बैयामानी कहा जाये य इनका पागलपन य फिर सिरफिरा यदि इस तरह के लोग थाना प्रभारी होंगे अधिकारी पद पर तैनात होगें तो जिस पर मन करेगा उस पर मुकदमा दर्ज कर देंगे जिस पर मन करेगा रिश्वत लेकर छोड़ देगें।

पत्रकार या कोई जिम्मेदार नागरिक इनसे सवाल-जवाब करेगा तो उसे भी कानूनी पेच में फंसा देने की धमकी देंगे।

रेल प्रशासन के आला अधिकारी को महिला के दिये हुए बयान को  संज्ञान में लेकर इस मामले की छानबीन करनी चाहिए ताकी कोई निर्दोष ऐसे खाकी वालो के गुड वर्क के चक्कर में फंस कर अपनी कैरियर चौपट न कर ले।

रह गई बात पत्रकार की तो पत्रकार अपना काम बंद नही करेगा सच दिखाने के लिए निर्भीक होकर निष्पक्ष पत्रकारिता करता रहेगा।

भले ही राजेश कुमार जैसे खाकी वाले मुकदमा लिखने की धमकी दें या चोर बदमाश अपराधी गोली मारने की।

हम पत्रकार जन जन के लिए कार्य करते हैं देश हित की बात करते हैं ऐसी धमकियो से डरने वाले पत्रकार पत्रकार नही होते पत्रकार अपनी कलम की सच्चाई के लिए अपनी जिंदगी भी दांव पर लगा देता है।

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